मंगोलिया में खानाबदोशों के लिए, घुमक्कड़ी है एक पावन अधिकार

मंगोलिया में सड़क पार करते घोड़े। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयुक्त।

यह लेख ऐलेना ट्रिफ़ोनोवा द्वारा ल्यूडी बैकाला (बाइकाल के लोग) के लिए लिखा गया था। एक मीडिया साझेदारी समझौते के तहत ग्लोबल वॉयस पर एक संपादित संस्करण प्रकाशित किया गया है। 

मंगोलिया में शहर और ग्रामीण इलाकों का जीवन बहुत अलग है। राजधानी, उलान बातार, कांच और कंक्रीट से बनी गगनचुंबी इमारतों वाला एक आधुनिक महानगर है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले खानाबदोश कई शताब्दियों से पशुधन पालते आ रहे हैं। वे अपने झुंडों के पीछे घास के मैदानों (स्तेपी) में घूमते हैं और नमदे के बने तम्बू या युर्त में रहते हैं, जिसे स्थानीय लोग “गेर” कहते हैं।

मंगोलिया की 34 लाख की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा कृषि में लगा हुआ है, हालांकि आधे से अधिक लोग उलान बातार में रहते हैं। कठोर जलवायु के कारण, देश में लगभग कोई कृषि योग्य भूमि नहीं है, और यहाँ सब्जियाँ उगाने की प्रथा नहीं है।

स्थानीय लोगों की प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, पृथ्वी को खोदना आम तौर पर निषिद्ध है, और जो कोई भी इस प्रतिबंध को तोड़ेगा, उस पर दुर्भाग्य आएगा। हालाँकि, इन मान्यताओं ने आधुनिक आर्थिक वास्तविकता के समक्ष दम तोड़ दिया है, और आज मंगोलिया की आर्थिक उन्नति मुख्य रूप से जमीन के नीचे से खोदे गए कोयले और खनिजों के निर्यात के द्वारा ही है।

लोग मुख्य रूप से पशुधन पालते हैं: भेड़, बकरी, घोड़े, गाय और ऊँट। देश का लगभग 80 प्रतिशत भूभाग चारागाह के रूप में उपयोग किया जाता है। मंगोलियाई खानाबदोशों के जीवन का तरीका 3000 वर्षों में शायद ही बदला हो, जिससे यह धारणा बनी कि स्तेपी में समय थम सा गया है, और अनंत काल में बदल गया है।

सदा गतिशील

2023 में, मंगोलिया में पशुधन जानवरों की संख्या लगभग 65 मिलियन तक पहुंच गई, जिससे प्रत्येक नागरिक के पास लगभग 18 पशुधन रह गए, 2023 में 247,000 हजार खानाबदोश चरवाहे परिवारों को पंजीकृत किया गया था। एक परिवार के लिए एक हजार से अधिक जानवरों को रखना आम बात है।  मंगोलियाई खानाबदोशों के पास पुश्तैनी चारागाहें होती हैं जिनमें वे जानवरों को घास उपलब्ध कराने के लिए साल भर घूमते रहते हैं।

एक मंगोलियाई चरवाहा और उसकी भेड़ें। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयुक्त।

वर्ष के दौरान, वे कम से कम चार बार शिविर बदलते हैं, और शिविर अक्सर निकटतम गांवों या शहरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित होते हैं। लंबी दूरी और अगम्य सड़कों के कारण, खानाबदोश चरवाहों तक एम्बुलेंस द्वारा नहीं पहुंचा जा सकता है। बच्चों को पूरे स्कूल वर्ष के लिए बोर्डिंग स्कूलों में भेजा जाता है।

मंगोलिया का पतों के साथ एक दिलचस्प इतिहास है। चुंकि मंगोल एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करते हैं, आप किसी युर्त खे़मे को स्थायी पता तो दे नहीं सकते। इसलिए, देश ने अपनी स्वयं की पता प्रणाली शुरू की – अक्षरों और संख्याओं का एक कोड। यह कोड देश की प्रत्येक संपत्ति को सौंपा गया है। कोई इसे जियोलोकेशन टूल का उपयोग करके ढूंढ सकता है।

स्तेपी में मंगोलियाई युरेट्स। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयुक्त।

खानाबदोश युर्त में रहने की सदियों पुरानी परंपरा को जारी रखते हैं, जिसे आसानी से ले जाया जा सकता है। तीन हजार वर्षों से, मंगोलियाई युर्त की संरचना में शायद ही कोई बदलाव आया है। इसमें एक लकड़ी का चौखटा होता है जिसके ऊपर फेल्ट या नमदा लगा होता है। एकमात्र आधुनिक अनुकूलन तिरपाल का उपयोग करना है, जो युर्त को बारिश से बचाता है। 250 किलोग्राम वजनी इस संरचना को कुछ घंटों में अलग किया जा सकता है और फिर से जोड़ा जा सकता है।

अपने प्राचीन पूर्वजों के विपरीत, आधुनिक चरवाहे घोड़ों के बजाय कारों में स्तेपी में घूमते हैं। युर्त और सामान को एक ट्रक में रखा जाता है, जो धीरे-धीरे झुंड का पीछा करता है। एक नियम के रूप में, झुंड को घोड़ों या मोटरसाइकिलों पर कई लोगों द्वारा चलाया जाता है, जो जानवरों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें घाटियों में भटकने से रोकते हैं। शिविरों के बीच की दूरी कुछ सौ किलोमीटर तक हो सकती है।

मंगोलिया दुनिया के सबसे कम आबादी वाले देशों में से एक है जहां प्रति वर्ग किलोमीटर केवल दो लोग रहते हैं। देश को 21 जिलों या अइमग में विभाजित किया गया है, जिसमें 329 सूम्स या गाँव हैं।

सूम्स में, लोग लकड़ी या ईंट के घरों में रहते हैं, लेकिन, लगभग हर यार्ड में एक युर्त होता है। राजधानी सहित शहर के पड़ोस भी हैं, जहां लोग युर्तों में रहते हैं। यहां तक कि अगर कोई मंगोल ऐसे घर में रहता है जिसके आंगन में एक युर्त है, तो भी वे अपना अधिकांश समय युर्त में बिताएंगे क्योंकि यह अधिक परिचित और आरामदायक है।

एक मंगोलियाई युर्त का बाहरी दृश्य। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयुक्त।

युर्त को पारंपरिक रूप से दो हिस्सों में बांटा गया है। दाहिना भाग पुरुषों के लिए और बायाँ भाग महिलाओं के लिए है। महिलाओं के भाग में आमतौर पर एक बिस्तर और घरेलू उपकरण होते हैं। पुरुषों की तरफ शिकार के हथियार और पुरुषों के उपकरण होते हैं।

मंगोलियाई युर्त के अंदर पुरुषों का एक पक्ष। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयुक्त।

युर्त में दरवाजा लकड़ी का है; प्रवेश द्वार पारंपरिक रूप से दक्षिण की ओर है, और प्रवेश द्वार के विपरीत – उत्तरी दीवार के पास – युर्त का मुख्य भाग है। सम्मानित अतिथियों को देवताओं और पूर्वजों की तस्वीरों की वेदी के बगल में बैठाया जाता है। केंद्र में एक स्टोव रखा जाता है, जिसे सूखे खाद – अर्गल (उपला) से गर्म किया जाता है। इसे गर्मियों में विशेष रूप से तैयार और सुखाया जाता है।

मंगोलियाई युर्त के अंदर देवताओं और पूर्वजों की तस्वीरों वाली एक वेदी। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयुक्त।

युर्त का अनुपात एक धूपघड़ी के मॉडल अनुसार बनता है। अंदर का पूरा स्थान पारंपरिक रूप से बारह भागों में विभाजित है, जिन्हें चीनी कैलेंडर के महीनों के अनुसार नाम दिया गया है। सूरज की एक किरण युर्त की छत पर एक गोल छेद में प्रवेश करती है और दीवार के एक निश्चित हिस्से पर गिरती है, जो पूरे दिन घूमती रहती है। आप इसकी गति से समय बता सकते हैं।

अंतर्निहित आतिथ्य

2023 में, मंगोलिया में 650,000 पर्यटक आए और पर्यटन उद्योग का राजस्व 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। ऐसा माना जाता है कि मेहमान घर में सौभाग्य और समृद्धि लाते हैं। इसलिए, जितने अधिक मेहमान युर्त का दौरा करेंगे, उतना बेहतर होगा।

मंगोलियाई भोजन, खानाबदोश लोगों की तरह, बहुत सारे मांस और डेयरी व्यंजन शामिल होते हैं। पारंपरिक व्यंजनों में से एक है बूडॉग। इसे पहले पूरे जानवर के शव से सारी हड्डियाँ निकालकर तैयार किया जाता है। परिणामी “त्वचा” को मांस, सब्जियों और गर्म पत्थरों से भर दिया जाता है और कोयले पर पकाया जाता है।

यहां मंगोलिया में बूडॉग की तैयारी वाला एक यूट्यूब वीडियो है।

मंगोलिया में सबसे लोकप्रिय पेय हैं ऐरग (या कूमीस), जो घोड़ी के खमीरीकृत दूध से बनता है, और पारंपरिक सुउतेई त्साई जो हरी चाय, दूध, वसा, नमक, आटा और चावल से बना है।

एक अन्य पारंपरिक व्यंजन आरूल (सूखा पनीर) है, जो गर्मियों में युर्त की छत पर तैयार किया जाता है। मांस को सुखाना भी आम बात है, जिसे आमतौर पर सर्दियों में खाया जाता है। सूखा मांस, पीसकर आटा बनाया जाता है और मंगोलियाई सुपरमार्केट में बेचा जाता है, जिसे कई महीनों तक बिना प्रशीतन के संग्रहीत किया जा सकता है और एक गाढ़ा शोरबा तैयार किया जा सकता है।

एक संवैधानिक एवं पवित्र अधिकार

मंगोलियाई लड़कों को बचपन से ही घुड़सवारी करना सिखाया जाता है। किसी लड़के के तीसरे जन्मदिन पर उसके लिए घोड़ा एक पारंपरिक उपहार होता है। वे कहते हैं कि घोड़े के बिना मंगोल बिना पंखों के पक्षी के समान है।

यहां मंगोलिया में बाल जॉकी के बारे में एक यूट्यूब वीडियो है।

मंगोलों का सबसे महत्वपूर्ण अवकाश पारंपरिक ग्रीष्मकालीन नादाम उत्सव है, जिसमें घुड़दौड़, कुश्ती और तीरंदाजी की प्रतियोगिताएं शामिल होती हैं।

यहां नादाम के दौरान आयोजित कुश्ती और तीरंदाजी प्रतियोगिताओं के बारे में एक यूट्यूब वीडियो है।

आधुनिक खानाबदोश सैटेलाइट टेलीफोन और स्मार्ट फोन के जरिए बाहरी दुनिया से जुड़े हुए हैं, जिनसे छिटपुट इंटरनेट की सुविधा मिल सकती है। प्रत्येक युर्त के पास सौर पैनल या जनरेटर होता है, जो शाम को घर को रोशन करने और टीवी देखने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा करते हैं। एक सैटेलाइट डिश भी है जो लगभग हर युर्त में टेलीविजन सिग्नल पकड़ती है।

मंगोलियाई युर्त के अंदर एक टीवी सेट और फोन। फोटो बैकाल पीपल द्वारा। अनुमति के साथ प्रयोग किया गया.

मंगोलिया में गोल्डन ईगल्स के साथ शिकार करना बहुत लोकप्रिय है, जो मंगोलिया में कज़ाख खानाबदोशों, जो एक जातीय अल्पसंख्यक हैं और मुख्य रूप से पश्चिमी बायन-ओल्गी में रहते हैं, की एक प्राचीन परंपरा है। हर शरद ऋतु में देश गोल्डन ईगल फेस्टिवल का आयोजन करता है, जहां ईगल शिकारी अपने शिकार कौशल का प्रदर्शन करते हैं।

यहां 2023 गोल्डन ईगल फेस्टिवल के फुटेज वाला एक यूट्यूब वीडियो है।

घूमक्कड़ी हर मंगोल का पावन अधिकार है। मंगोलिया का संविधान नागरिकों को कहीं भी रहने का अधिकार प्रदान करता है। इस पर युर्त लगाने के लिए भूमि के स्वामित्व की आवश्यकता नहीं है। कुछ मंगोल सेवानिवृत्ति के बाद खानाबदोश बन जाते हैं। इसीलिए मंगोल कहते हैं कि आज़ादी उनके खून में है।

1 टिप्पणी

  • हनोक

    जानकारी भरा लेख। मंगोलिया में टेंट लगाने के लिये कोई ज़मीन नहीं खरीदनी पड़ती और वहाँ का पिनकोड सिस्टम जानकर अच्छा लगा।

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