आलेख परिचय प्रवासन और आव्रजन

कविता बनी मरहम: हांगकांग में प्रवासी मजदूरों की ज़िंदगी, प्यार और त्याग की कहानी

  1 सप्ताह पूर्व

"इंगाट" नामक किताब में दर्जनों ऐसे घरेलू कामगारों की कृतियों को दर्शाया गया है, जो परिवार, कठिनाई, प्रेम व बलिदान की कहानियां बताती हैं।

अंतरिक्ष के लिए यात्रा जीती, लेकिन पृथ्वी पर घूमने को स्वतंत्र नहीं

“मैं सिर्फ यह जानने की कोशिश कर रहा हूँ कि सभी मुस्लिम आतंकवादी हैं वाली धारणा को ध्वस्त करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है"

विडियो: सउदी आदमी ने “बीवी से बात करने पर” कामगार की पिटाई की

एक प्रवासी श्रमिक की एक सऊदी आदमी द्वारा पिटाई के एक वीडियो द्वारा देश में श्रमिकों के शोषण के खिलाफ आक्रोश वायरस की तरह फैल गया है।

अप्रवासी भारतियों का मतदान अधिकार

  16 अप्रैल 2009

लॉ एंड अदर थिंग्स चिट्ठे ने विदेशों में काम कर रहे या पढ़ रहे भारतियों को मतदान का अधिकार देने के कानूनी पक्ष की चर्चा करते हुये लिखा है, “इन्हें मतदान का अधिकार देने से उन्हें राजनीतिक रूप से सक्रीय बनाये रखने में मदद मिलेगी। साथ यह भी एहसास भी...

नेपालः हिंसा और आप्रवासी

  21 मई 2008

काठमांडू स्पीक्स ने दक्षिण अफ्रीका में “बाहरी लोगों” के साथ हो रही हिंसा, और दुनिया के अन्य हिस्सों में आप्रवासियों के खिलाफ इसी तरह के विरोधों पर चिंता जताते हुये अपने ब्लॉग पर लिखा है।

आर्मीनियाः खुला पत्र

तुर्की लेखक व चिट्ठाकार मुस्तफा अक्योल की आर्मीनियाई जातिसंहार विषय पर आप्रवासी आर्मीनियाई को लिखे खुले पत्र का जवाब “लाईफ इन आर्मीनिया” चिट्ठे के लेखक रफी ने तुर्की नागरिकों को लिखे अपने खुले पत्र से दिया है। 1915 से 1917 के बीच हुई घटनाओं को जातिसंहर का दर्जा देते हुये...

ग्यूटेमाला: घर की याद आती है

  30 अक्टूबर 2007

ग्यूटेमाला में आंतरिक या बाहरी देशों को देशान्तरण आम बात है। संघर्ष और गंभीर गरीबी व हिंसा के सालों में अनेको ग्यूटेमालाई लोगों ने पाया कि उनके देश में अब संभावनायें नहीं बची हैं। नतीजतन असंख्य लोगों ने जीने के अन्य मौकों की तलाश में और अपने जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिये अपना घर छोड़ कर राजधानी या उत्तर की ओर रुख किया। निःसंदेह अपने परिवार व दोस्तों और अपने घर से दूर रहने को मजबूर कईयों की जिंदगी में अभूतपूर्व बदलाव भी आये।

मोलडोवाः प्रवासी कामगार और अर्थव्यवस्था

मोलडोवा मैटर्स के मुताबिक, “टोगो के बाद मोलडोवा ऐसे देशों की कतार में दूसरा है जिनकी अर्थव्यवस्था प्रवासी कामगारों द्वारा विदेश से भेजे धन पर निर्भर है”