ग्यूटेमाला: घर की याद आती है

ग्यूटेमाला में आंतरिक या बाहरी देशों को देशान्तरण आम बात है। संघर्ष और गंभीर गरीबी व हिंसा के सालों में अनेको ग्यूटेमालाई लोगों ने पाया कि उनके देश में अब संभावनायें नहीं बची हैं। नतीजतन असंख्य लोगों ने जीने के अन्य मौकों की तलाश में और अपने जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिये अपना घर छोड़ कर राजधानी या उत्तर की ओर रुख किया। निःसंदेह अपने परिवार व दोस्तों और अपने घर से दूर रहने को मजबूर कईयों की जिंदगी में अभूतपूर्व बदलाव भी आये।

डाएरियो मेरिडियानो घर छोड़ने का निर्णय ले चुकी एक लड़की की कहानी बयां करते हैं:

एरिका कैरोलीन ग्यूटेमाला ने उच्चभूमि स्थित अपने गाँव सोलोमा को छोड़ लॉस एंजलिस जाने का खतरा उठाया। पर वो वहाँ पहूँच न सकी। उसे सीमा से ९० किलोमीटर दूर नेशनल इमीग्रेशन सर्विस के एजेंटों ने धर दबोचा। “यह पहला मौका था जब मैंने अपना गाँव छोड़ने का निर्णय लिया। मुझे यह खतरा उठाना ही था। जहाँ मैं रहती हूँ वहाँ कोई नौकरी नहीं है।”, एरिका ने कहा जो एक छोटे बच्चे की माँ भी है जिसे वो गाँव में अपने माता पिता के पास छोड़ आई थी।

पर जिन ग्युटेमालाई लोगों ने सफलतापूर्वक देशांतरण कर लिया है चिट्ठे अंतर्जाल पर उनके घर का एक टुकड़ा सा है, एक ऐसा स्थान जहाँ वे अपने गाँवों की खबरें जान सकते हैं और उनसे संपर्क में रह सकते हैं। अमरीका में रह रहे पर सोलोमा मे जन्में चिट्ठाकार सैन पेड्रो लिखते हैं:

मेरे जीवन में एक समय था जब मैं अपनी संस्कृति से इतना दूर था कि अपने ही लोगों से कटा कटा महसूस करता था। फिर मैं सर्फिंग करते समय सोलोमा के बारे में कुछ खोज पाया। और फिर मुझे कुछ ब्लॉग मिले।

पर चिट्ठे समुदायों के संपर्क में रहने भर का ज़रिया ही नहीं है बल्कि अप्रवासियों से मदद माँगने में भी मदद करता है जैसा कि सैंटा यूलेलिला विलेज ब्लॉग ज़िक्र करता है:

हम अमेरिका में काम कर रहे अपने भाईयों की मदद चाहते हैं क्योंकि ह्यूह्यूटेनांगो के किसानों और स्थानीय लोगों के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण रोकने और सामाजिक आंदोलनों को शक्ति प्रदान करना ज़रूरी है।

चिट्ठों के ज़रिये समुदायों को जोड़ने वाले लोग वही सांस्कृतिक रिवाज़ भी निभा रहे हैं जो वे ग्यूटेमाला में रहकर निभाते। जैसे कि क्यू अंजोब अल संगठन की अपनी महारानी भी हैं और स्थानीय समारोह भी जेसा कि सैन पेड्रो लिखते हैं:

िक्टोरिया गोजाल्विज़ लॉस एंजलिस में जन्मीं हैं पर उनके माता पिता सोलोमा तथा सैंटा यूलालिया से हैं। जून 23, 2007 को उनकी सोलोमेरन राजकुमारी के रूप में अमेरिका में ताज़पोशी हुई।

विदेश में रह रहे चिट्ठाकारों के लिये अपने गाँव की यादें ताज़ा करना तो जरूरी है हीः

रात में मैंने सारे संदेशे और कवितायें पढ़ीं जो प्यारे क्युकुनसेस कुलिको के रहवासी ने लिखे और मुझे लगा ज्यों मैं उस छोटे से गाँव में पहुँच गया हूँ जहाँ हमारी जवानी बीती, जहाँ हम शनिवार को पार्टियाँ मनाया करते। वो खुशनुमा लम्हें कभी नहीं भूल सकता।

देश छोड़ने के अप्रत्याशित परिणामों के बारे में सोचना अनोखा है और ये भी कि किस तरह चिट्ठे लोगों को ही नहीं बल्कि समूचे समुदायों को एक दूसरे से जुड़ने में मदद कर रहे हैं।

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