अंडे में पंगा: क्यों ढाका में अंडे खाना फि़लहाल सुरक्षित नहीं

Eggs are called the poor man's protein. Everyone in the country eats eggs more or less. Photo by Isabelle Hurbain-Palatin via Wikipedia. CC BY-SA 2.0.

अंडे को गरीबों का प्रोटीन कहा जाता है. बांग्लादेश में लगभग सभी लोग अंडे खाते हैं। विकिपीडिया के माध्यम से इसाबेल हर्बैन-पैलाटिन द्वारा फोटोसीसी बाय-एसए 2.0.

अंडे शरीर के आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को दूर करके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं, जिससे वे किसी के आहार में एक मूल्यवान अतिरिक्त बन जाते हैं। इनके फायदों में बीमारी की रोकथाम से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तक हैं, जिसके चलते विशेषज्ञ प्रतिदिन एक अंडा खाने की वकालत करते हैं।

हालाँकि, बांग्लादेश में अंडे खाना फिलहाल सुरक्षित नहीं है। जगन्नाथ विश्वविद्यालय, बांग्लादेश विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (बीसीएसआईआर) और हाजी मोहम्मद दानेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छह शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में बांग्लादेश की राजधानी ढाका शहर में स्थित फार्मों के अंडों में भारी धातुओं के ऊंचे स्तर की पहचान की गई है जो जस्ता, तांबा, सीसा और लोहे के लिए अधिकतम स्वीकार्य स्तर (Maximum Permissible Limits यानि MPL) को पार कर गया। अंडों में इन भारी धातुओं की अधिकता मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है।

यह शोध किंग सऊद यूनिवर्सिटी, सऊदी अरब के अरेबियन जर्नल ऑफ केमिस्ट्री के अक्टूबर अंक (खंड 16, अंक 10) में प्रकाशित हुआ था, जिसे साइंसडायरेक्ट के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। अध्ययन में अंडों में 10 अलग-अलग भारी धातुओं के अस्तित्व का पता चला, जिनमें से 6 अधिकतम स्वीकार्य स्तर (MPL) के भीतर थे। हालाँकि, अन्य 4: जस्ता, तांबा, सीसा और लोहा, इन सीमाओं को पार कर गए। इन निष्कर्षों के महत्व को जगन्नाथ विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डोलन रॉय द्वारा की गई टिप्पणियों से उजागर किया गया है, जो शोध में शामिल थे। बांग्ला दैनिक प्रोथोम आलो (पहली किरण) के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने अपनी खोज साझा की:

খাদ্যে মাত্রাতিরিক্ত যেকোনো ধাতুর উপস্থিতিই খারাপ। এর কারণে হৃদ্যন্ত্র, কিডনি ও যকৃৎ মারাত্মকভাবে ক্ষতিগ্রস্ত হতে পারে। এতে ক্যানসার পর্যন্ত হতে পারে। ফলে ডিমে চারটি ভারী ধাতুর মাত্রাতিরিক্ত উপস্থিতির যে তথ্য আমাদের গবেষণায় উঠে এসেছে, তা অবশ্যই উদ্বেগের কারণ।

… মাত্রাতিরিক্ত দস্তায় রক্তশূন্যতা ও ক্ষুধামান্দ্য হয়। অতিরিক্ত তামার উপস্থিতিতে বমি বমি ভাব, ডায়রিয়া, পেটে অস্বস্তি ইত্যাদি হয়। অতিরিক্ত সিসা কার্ডিওভাসকুলার ব্যবস্থার ক্ষতিসাধন করে, উচ্চ রক্তচাপ বাড়ায়। অতিরিক্ত লোহা কার্ডিয়াক অ্যারেস্ট, শ্বাসপ্রশ্বাসে জটিলতা, খিঁচুনি, বিষণ্নতা ইত্যাদির জন্য দায়ী।

हमारे भोजन में किसी भी धातु की अत्यधिक उपस्थिति हानिकारक है, जिससे हृदय, गुर्दे और यकृत को गंभीर नुकसान हो सकता है और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी हो सकता है। इसलिए, अंडों में चार भारी धातुओं के अत्यधिक स्तर के संबंध में हमारे शोध निष्कर्ष महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा करते हैं।

…. अत्यधिक जिंक के सेवन से एनीमिया और भूख कम हो सकती है, जबकि तांबे की अधिक मात्रा के परिणामस्वरूप मतली, दस्त और पेट की परेशानी जैसे लक्षण हो सकते हैं। अतिरिक्त सीसे से हृदय प्रणाली को नुकसान पहुंचने की संभावना होती है, जो उच्च रक्तचाप में योगदान देता है। इसके अलावा, अत्यधिक आयरन की खपत को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कार्डियक अरेस्ट, सांस लेने में कठिनाई, दौरे और अवसाद से जोड़ा जा सकता है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश में अंडे की दैनिक मांग लगभग चार करोड़ है। देश में लगभग हर व्यक्ति के आहार में अंडे प्रमुख हैं। ऊपर उल्लिखित लेख पर एक टिप्पणीकार हारुन रशीद ने अंडों में भारी धातु संदूषण से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे पर चिंता व्यक्त की:

মুরগির খাবারের মাধ্যমেই বিষাক্ত ধাতু মুরগির পেটে যায়। চামড়ার ট্যানারীর বিষাক্ত বর্জ্য দিয়ে মোরগ এবং মাছের খাবার তৈরি হয়। একটি জাতির মনন যখন পচে যায় তখন এই সব ঘটতেই থাকবে। দেখার‌ও যেন কেউ নেই!

ये जहरीली धातुएँ मुर्गों के चारे के माध्यम से उनके पाचन तंत्र में प्रवेश करती हैं, जिसे अक्सर ढाका में चमड़े के कारखानों से अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग करके तैयार किया जाता है। ये मुद्दे तब भी बने रहते हैं जब किसी समाज के मूल्यों से समझौता किया जाता है, और इसके परिणामों पर आम जनता का ध्यान नहीं जाता है।

Eggs for sale at a bazar in Dhaka. Image via Flickr by IFPRI. CC BY-NC-ND 2.0.

ढाका के एक बाज़ार में बिक्री के लिए अंडे। IFPRI द्वारा फ़्लिकर के माध्यम से छवि। सीसी बाय-एनसी-एनडी 2.0.

पोल्ट्री अंडों में भारी धातुओं की उपस्थिति

पोल्ट्री क्षेत्र से जुड़े लोगों ने अंडों में भारी धातुओं की मौजूदगी के लिए टैनिंग उद्योग के कचरे से होने वाले प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया है। चमड़े के कारखानों के अपशिष्ट जल को भारी धातुओं की पर्याप्त सांद्रता के लिए जाना जाता है, और कुछ मामलों में, प्रोटीन युक्त सामग्री के कारण इसे चिकन फ़ीड (चारे) में डाला जाता है, जो चिकन के विकास को तेज करता है। शोधकर्ता यह भी निष्कर्ष निकालते हैं कि ये जहरीली भारी धातुएं मुर्गियों के आहार के माध्यम से उनके शरीर में प्रवेश करती हैं और बाद में अंडों में प्रवेश करती हैं, जो अंततः मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती हैं।

यही कारण है कि अध्ययन के एक सदस्य प्रोफेसर डोलन रॉय ने खेत में पाली गई मुर्गियों को दिए जाने वाले चारे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया। छोटे पैमाने के किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन, बांग्लादेश पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमोन हवलदार ने खाद्य उत्पादकों से सुरक्षा मानकों को पूरा करने वाले पोल्ट्री फ़ीड की आपूर्ति करने का आह्वान किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि, ऐसे सुरक्षित पोल्ट्री फ़ीड के बिना, छोटे पैमाने के किसान चिकन मांस और अंडे का उत्पादन करने में असमर्थ होंगे जो उपभोग के लिए भी सुरक्षित हैं।

बांग्लादेश में, प्रदूषण अंडों तक ही सीमित नहीं है; यह चिकन, मछली और सब्जियों सहित विभिन्न खाद्य स्रोतों में सर्वव्यापी है। कानूनी पेशेवर एमु बरुआ ने फेसबुक में लिखा:

খাবার পানিতে বিষাক্ততা, চালে ক্যাডমিয়াম, ডিমে রাসায়নিক পদার্থের উপস্থিতি, মুরগীতে ক্রমিয়াম, পাউরুটিতে পটাশিয়াম ব্রোমেট, দুধে সীসা, মাছে অতিরিক্ত এন্টিবায়োটিক, চিংড়িতে কেমিক্যাল জেলি, শাকসবজিতে লেদ, আর্সেনিক, কেডিয়ামের উপস্থিতিতে মানুষ কি খেয়ে বাঁচবে!

हम पीने के पानी में संदूषण, चावल में कैडमियम, अंडे में रासायनिक अवशेष, चिकन में क्रोमियम, ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट, दूध में सीसा, मछली में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग, झींगा में रासायनिक जेली, और आर्सेनिक, कैडमियम और सब्जियों में सीसे की उपस्थिति का सामना करते हैं। प्रदूषकों की इतनी विस्तृत श्रृंखला के साथ, लोगों के लिए स्वस्थ भोजन विकल्प चुनना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

अंडे पारंपरिक रूप से बांग्लादेश में सबसे सस्ता प्रोटीन स्रोत रहे हैं और सबसे कम आय वाले लोगों के लिए भी इसे एक किफायती विकल्प माना जाता है। हालाँकि, महामारी की शुरुआत के बाद से अंडे की कीमत लगातार बढ़ रही है। सरकारी मूल्य नियमों के बावजूद, बाजार में अंडे की कीमत बढ़ गई है। पोल्ट्री उद्योग के व्यक्तियों ने इस मूल्य वृद्धि को पोल्ट्री फ़ीड और ईंधन की उच्च लागत से जोड़ा है। इस प्रकार, प्रदूषण संबंधी चिंताओं के साथ बढ़ती कीमतों ने अंडे की खपत के लिए दोहरी चुनौती पेश की है।

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