लॉकडाउन में फंसे रूसी, इंटरनेट पर (पुनः)निर्मित कर रहे हैं प्रसिद्ध कलाकृतियां

फ्रीडा काहलो का आत्म चित्र (1940), जिसे RuNet प्रयोगकर्ता मारिया मोरोज़ोवा द्वारा पुनः बनाया गया, 25 अप्रैल, 2020। फेसबुक / इज़ोइज़ोलीशिया से स्क्रीनशॉट।

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1868 में, फ्योडोर दोस्तोवस्की ने लिखा था कि “सुंदरता ही दुनिया को बचाएगी।” डेढ़ सौ साल बाद इस बात की तस्दीक करना तो बाकी है, लेकिन एक बात तो तय है – एक वैश्विक महामारी के दौरान सुंदरता निश्चित रूप से हमारा ध्यान बाहरी दुनिया के घटनाक्रम से बंटा सकती है।

जब से दुनिया भर में लोगों को घर में रहने का आदेश दिया गया है, वे खुद को ऊब और उदासी से परे रखने के रचनात्मक ज़रिये खोज रहे हैं। विशेषतः एक फोटो चैलेंज सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गई है जिसमें प्रतिभागी साधारण घरेलू सामानों का उपयोग कर प्रसिद्ध कलाकृतियों को दुबारा बनाते हैं।

कोविड-19 महामारी के प्रतीक, सर्जिकल मास्क और थर्मामीटर, इस पुनर्निर्माण में प्रयुक्त प्रमुख सामग्री हैं। सर्जिकल मास्क पहने एक व्यक्ति, मार्कर पेन से रचे खुले मुंह से अलंकृत, एडवर्ड मंक की “द स्क्रीम” के घरेलू संस्करण के लिए भंगिमा बनाता है। मोजार्ट की एक प्रसिद्ध पेंटिंग की नकल हेतु एक पियानो के सामने बैठे एक व्यक्ति के लिए टॉयलेट रोल विग का रुप ले लेता है। तो कोई 1972 में जारी भारतीय फ़िल्म सीता और गीता से अभिनेत्री मनोरमा की कुटिल भाव भंगिमा की नकल करती नज़र आती हैं (तत्कालीन रूस में भारतीय फिल्में काफी प्रसिद्ध थीं)। ये सब रूसी फेसबुक समूह “IZOIZOLIZACIA” की असीम रचनात्मकता के कुछ उदाहरण हैं। यह कहना कोई अतिशयोक्ति न होगी कि यह पृष्ठ एक राष्ट्रीय जुनून बन गया है।

इस फेसबुक समूह का नाम रूसी शब्दों “अलगाव” और “दृश्य कला” को मिलाकर रखा गया है। संप्रति इसके 500,000 से अधिक सदस्य हैं और प्रतिदिन 100 से अधिक पोस्ट यहाँ किये जाते हैं। यद्यपि समूह के अधिकांश सदस्य रूसी हैं, लेकिन गहन अनिश्चितता के इस समय के दौरान यह दुनिया भर के लोगों को जोड़ रहा है। Izoizolyatsiya का नारा इसके मनसूबे को बयां करता है: “सीमित गतिशीलता परंतु असीमित कल्पना वाले लोगों का एक समुदाय।” इस समूह की संस्थापक, 38 वर्षीय कैटरिना ब्रुडनाया-चेल्याडिनोवा, ने समूह में गिने चुने नियम ही बना रखे हैं, जिनमें प्रमुख है: मंच सामग्री के रूप में केवल घरेलू सामान का ही उपयोग हो, चित्र में किसी भी तरह का हेरफेर न की जाय, और काज़िमिर मालेविच के “ब्लैक स्क्वायर” का कोई और संस्करण न बनाया जाय, जब तक कि वह वाकई मजाकिया न हो।

उदाहरण के लिए, ब्रुडनया-चेल्याडिनोवा, जो रूसी डिजिटल दिग्गज Mail.Ru के लिए काम करती हैं, ने फेसबुक पर पुआल टोपी पहने अपने पति की एक तस्वीर विन्सेंट वान गॉग के रूप में साझा करके चुनौती शुरू की। जब उन्होंने अपने दोस्तों से प्रसिद्ध पेंटिग्स की अपनी प्रस्तुतियाँ को साझा करने का अनुरोध किया, तो कई लोग इस चुनौती के लिए तैयार हो गये। समर्थन इतना भारी मिला कि सारी प्रस्तुतियों को एक जगह एकत्रित कर दिखाने के लिये उन्हें 30 मार्च को यह फेसबुक समूह बनाना पड़ा। सिर्फ एक दिन के भीतर, इसमें 2,500 से अधिक सदस्य जुड़ गये थे।

रूसी समाचार चैनल आरबीके के साथ 17 अप्रैल को एक साक्षात्कार में, ब्रुडनया-चेल्याडिनोवा ने जोर देकर कहा कि वह अकले समूह का प्रबंधन नहीं करतीं। “हमारे पास अमेरिका से लेकर न्यूजीलैंड में बसे 11 मॉडरेटर्स हैं जो हर घंटे समूह को चालू रखते हैं,” उन्होंने कहा। “यह दुनिया भर में फैले रूसी दोस्तों का एक जबरदस्त प्रयास है।”

समूह की अंतर्राष्ट्रीय सदस्यता इस तथ्य को दर्शाती है कि Izoizolyatsiya वायरल कला चुनौती के कई अवतारों में से एक है; कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से, दुनिया भर की कई कला दीर्घाओं के सोशल मीडिया खातों ने इसी तरह की पहल शुरू की है।

इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि समूह के सदस्यों का रूस और पूर्व सोवियत संघ की प्रसिद्ध कलाकृतियों के प्रति विशेष प्रेम है। “ऐसा लगता है कि इस समूह में हम थोड़ा अधिक आत्म-विडंबनापूर्ण हैं,” ब्रुडनाया-चेल्याडिनोवा ने RuNet इको के लिए एक साक्षात्कार में स्वीकार किया।

वस्तुतः कई साझा चित्र रूस के सबसे बेशकीमती चित्रों की नकल करते हुये बेतहाशा रचनात्मकता और आत्म-ह्रास का प्रदर्शन करते हैं। वासिली वेरेशागिन की “एपोथोसिस आफ वॉर” में खोपड़ी के पहाड़ को बिखरे हुए लेगो हेड्स के रूप में चिन्हित किया गया है। एक अन्य तस्वीर में एक बिल्ली सलामी देते लेनिन की नकल उतारते दिखाई गई है। “मॉर्निंग इन ए पाइन फॉरेस्ट” में इवान शिश्किन के चिर परिचित भालू लेट्यूस के पत्तों की पृष्ठभूमि में रखे भालू के आकार के नमकीन क्रैकर्स द्वारा दर्शाये गये हैं।

विदेशी कलाकृतियों की कुछ प्रसिद्ध नकलें भी हैं। “द लास्ट सपर” में ईश्वर के दूतों के स्थान पर नर्सों को दिखाया गया गया है; लियोनार्डो दा विंची के “सेवियर ऑफ द वर्ल्ड” में यीशु का रूप धरे एक मॉडल को ओर्ब (गोलाकार प्रकाशस्रोत) के बजाय अचार का मर्तबान पकड़े हुए दिखाया गया है। कुछ प्रयोगकर्ताओं ने एडगर डेगास की प्रसिद्ध बैलेरीना चित्रों को फिर से बनाने के लिए टुटु (बैले नृत्य में पहने जाने वाला एक परिधान) पहने। दूसरों ने वैन गॉग के प्रसिद्ध स्वचित्र को चित्रित करने के लिए उशान्का (कान के फ्लैप वाली फ़र की बनी रूसी टोपी) का धारण किया।

चुनौती की बाधाओं ने कई प्रतिभागियों को उन रोजमर्रा की वस्तुओं के साथ प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया है जो उनके पास घर पर उपलब्ध हैं। इज़राइल की एक उपयोगकर्ता ने भारी श्रृंगार में सज, कागज से बनी पिघलती घड़ियों के साथ सल्वाडोर डाली के रूप में पोज़ किया। एक महिला ने डांटे गेब्रियल रोसेटी के “पेंडोरा” को फिर से बनाने के लिये, पेंटिंग में सोने के बक्से को मैकडॉनल्ड्स के टेकआउट बक्से से बदल दिया गया। जैक्सन पोलक की एक पेंटिंग को लाठियों के ढेर से दर्शाया गया था।

नतालिया शेवचेंको द्वारा समूह में सबसे लोकप्रिय प्रविष्टियों से एक, हेनरी मटीसे की 1910 की कृति “डांस” को एक प्लास्टिक की थैली पर झींगा मछलियों और अखरोट का प्रयोग कर दर्शाया गया है। इसे 39,000 से अधिक लाइक मिले हैं।

इन पुर्ननिर्मित कलाकृतियों में से कई संगरोध के दौरान घर में फंसे शौकिया मॉडलों द्वारा ली गई सेल्फियां भी हैं। कई अन्य में जीवन साथी, पालतू जानवर, दादा-दादी और बच्चे भी हैं। Izoizolyatsiya का फेसबुक पृष्ठ संबंधों की तलाश में भटकते तन्हा चेहरों से भरा है – और यहाँ शायद वे उन संबंधों को खोज भी पा रहे हैं।

इसलिए सोशल मीडिया की हर पागलपंती की तरह यह चुनौती खुद ही अनेक सवाल उठाती है: क्या प्रसिद्ध कला का नकल निर्माण सिर्फ एक सनक है, या फिर ये कला और एक दूसरे से जुड़ने की आवश्यकता से पनपी है? ब्रुडनाया-चेल्याडिनोवा को लगता है कि दूसरी वाली बात ज्यादा सही है। “एक तरफ, यह सच है कि यह कला चुनौती महज़ एक खेल है,” वह निष्कर्ष निकालती है, “लेकिन यह कालातीत कला से जुड़ने और अपने समुदाय में ठौर पाने का एक अलग तरीका भी है। “

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