
पेडीकैब चालकों के साथ पेडीकैब परियोजना दल। छवि माइकल लिन्डे के फेसबुक पृष्ठ से। पूर्वानुमति से प्रकाशित।
दक्षिणी नेपाल में भगवान बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी की सड़कों पर पारंपरिक साईकल रिक्शा गाड़ियों की भीड़ में पेडीकैब परियोजना द्वारा निर्मित रिक्शा का आधुनिक संस्करण निश्चित ही आपका ध्यान आकर्षित करेगा।
आकर्षक, अत्याधुनिक और भरेपूरे आकार के ये पेडीकैब डेनवर, अमरीका स्थित कैटापल्ट डिजाइन द्वारा निर्मित हैं, जिसके डिजाइन और 60 प्रोटोटाइप के उत्पादन हेतु एशियन डेवेलपमेंट बैंक (एडीबी) द्वारा 350,000 डॉलर (लगभग 3.6 करोड़ नेपाली रूपये) का अनुदान मुहैया कराया गया है ।
अप्रैल 2017 में इनकी शुरुवात की गई है, परीक्षण के तौर पर फ़िलहाल 28 पेडीकैब लुम्बिनी में और 28 काठमांडू में चलाये जा रहे हैं। प्रारंभिक पायलट चरण के सफल समापन के बाद, बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए डिजाइन को अंतिम रूप दिया जाएगा, जो ग्राहकों और रिक्शा चालकों दोनों की प्रतिक्रिया पर आधारित होगा।
Our pedicab design finally hits the streets of #Kathmandu and Lumbini! Congrats to #ADB, @NoelGaelWilson, and the local design team! #Nepal pic.twitter.com/mTwHPOgCAT
— Catapult_Design (@Catapult_Design) May 3, 2017
हमारा पेडीकैब डिज़ाइन अंततः उतरा #काठमांडू और लुंबिनी की सड़कों पर! #एडीबी, @नोएलगेलविल्सन, और स्थानीय डिज़ाइन टीम को बधाई! #Nepal
ग्लोबल वॉइसेस नेपाल के लेखक संजीब चौधरी ने पेडीकैब परियोजना के प्रबंधक ब्रैडली श्रोएडर के साथ इन आधुनिक रिक्शा गाड़ियों और नेपाली लोगों के इस रिक्शा को देखने के नज़रिये पर बातचीत की । यहां साक्षात्कार के अंश प्रस्तुत हैं:
ग्लोबल वॉइसेस (जीवी): इस परियोजना के पीछे क्या प्रेरणा रही है?
ब्रैडली श्रोएडर (बीएस): पेडीकैब (जिसे साइकिल रिक्शा भी कहा जाता है) दक्षिण एशिया के अधिकांश लोगों के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करता है। इसी तरह साइकिल रिक्शा का उत्पादन और प्रबंधन करने वाले उद्योग भी गरीबों के लिए रोजगार और आय का एक प्रमुख स्रोत है। मोटर चालित वाहनों के मुकाबले रिक्शा शून्य-उत्सर्जन और शोर-रहित तो हैं ही।
जीवी: क्या आप हमें बता सकते हैं कि पेडीकैब कैसे काम करती हैं? वे सामान्य रिक्शा से कैसे अलग हैं?
बी एस: पेडीकैब पारंपरिक साईकल रिक्शा का एक आधुनिक संस्करण है। पारंपरिक रिक्शा प्राचीन हो चुके हैं और रंगरूप, सामग्री (वजन) और गियरिंग के संदर्भ में वर्तमान में उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग नहीं करते हैं। परियोजना में हमने आधुनिक डिजाइन के साथ बेहतर गुणवत्ता वाले घटकों के प्रयोग पर ध्यान केंद्रित किया।
जीवी: आपने लुंबिनी में पेडीकैब का पहला बैच लॉन्च किया है। यात्रियों और पर्यटकों से मिली प्रारंभिक प्रतिक्रिया कैसी रही?
बी एस: आरंभिक प्रतिक्रिया अच्छी रही है। सिर्फ पेडल से चलने रिक्शा की तुलना में बिजली की सहायता से चलने वाला संस्करण निश्चित रूप से अधिक लोकप्रिय है। रिक्शा चालक और पर्यटक दोनों इसे पसंद करते हैं। कुछ छोटी मोटी चीजें हैं, जिनको आगामी पेडीकैब में बदलने के बारे में कैटापल्ट सुझाव देगा। यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रोटोटाइप वाहन थे इसलिए कुछ शुरुआती समस्याएं हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह एक सॉलिड वाहन है। मुझे लगता है कि सबसे अच्छी बात यह रही कि “साईकल के पहिये नहीं निकले”।
जीवी: यह काम कैसे करता है? क्या आप मुफ्त में पेडीकैब दे रहे हैं? पेडिकैब चालकों को आपने कैसे चुना?
बी एस: जैसा मैंने कहा ये प्रोटोटाइप वाहन थे, इसलिए उन्हें चालकों को मुफ्त दिया गया। जब तक वाहनों की उपयोगिता साबित न हो न हो तब तक उनकी कीमत पाने की अपेक्षा रखना नैतिक नहीं होता। भावी पेडीकैब का वितरण अधिक स्थायी मॉडल जैसे कि पुनर्पूंजीकरण या वित्तपोषण के माध्यम से होगा।
जीवी: क्या यह परियोजना बहुत महंगी नहीं है? आपको 60 पेडीकैब डिजाइन करने के लिए 350,000 डॉलर दिए गए हैं, जबकि बाजार में सामान्य दर पर इसी तरह के बैटरी संचालित रिक्शा उपलब्ध हैं। क्या आप हमारे साथ परियोजना का मूल्य-लाभ विश्लेषण साझा कर सकते हैं?
बी एस: कैटापल्ट डिजाइन ने मौजूदा बाजार में उपलब्ध विकल्पों पर व्यापक शोध किया और पाया कि कोई भी उपलब्ध मॉडल दक्षिण एशिया के बाजार की जरूरतों के अनुरूप नहीं है। जब आप वाहन की लागत के बारे में बात करते हैं तो आप सिर्फ 350,000 डॉलर को 60 से भाग नहीं दे सकते; आपको इकाइयों की कम संख्या ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन, मूल्यांकन और निर्माण आदि का खर्च भी जोड़ना चाहिए। यदि हम बड़े पैमाने पर उत्पादन करें तो पेडीकैब की कीमत मौजूदा रिक्शा की कीमत से टक्कर लेगी, हमारी कीमत 10% से ज़्यादा नहीं होगी।

माइकल लिंडे एक पेडीकैब के साथ। चित्र उनके फेसबुक पेज से । अनुमति से प्रकाशित।
जीवी: आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं? आप पेडीकैब को कहाँ ले जाना चाहते हैं?
बी एस: परियोजना का अंतिम चरण मूल्यांकन है। उस समय सुझाव दिए जाएंगे और यदि आवश्यक हो तो डिजाइन संशोधित किया जाएगा। पेडीकैब का डिज़ाइन (एडीबी द्वारा बताई आवश्यकता के मुताबिक) मुक्त-स्रोत है तो कोई भी निर्माता इसका इस्तेमाल कर सकेगा। दक्षिण पूर्व एशियाई बाजार इतना बड़ा है कि यदि डिजाइन खरा साबित होता है तो लोग इसकी नकल बनायेंगे ही। उसके बाद बाजार बल उसका भविष्य तय करेगा ।
अगर यह परियोजना सफल हो जाती है, तो हम निकट भविष्य में बांग्लादेश और फिलीपींस जैसे देशों में सैंकड़ों नए, आधुनिक पेडीकैब चलते देखेंगे।