फोटो – गिले पदिल्ला द्वारा, क्रियेटिव कॉमन्स लाइसेंस के तहत प्रयोग में लिया गया
भले ही यह अप्रासंगिक सा प्रतीत होता हो, लेकिन डोमिनिकन रिपब्लिक में दुग्ध घोटाला कांड चहुँओर चर्चा में है. चिट्ठों में लिखा गया कि दूध की जगह स्कूली बच्चों को शक्कर पानी दिया जा रहा है. द डेली डोमिनिकन [en] लिखते हैं:
द डोमिनिकन रिपब्लिक सोसाइटी (एसडीपी) ने शिक्षा मंत्रालय का ध्यान इस ओर खींचा है कि खोजी टीवी पत्रकार नुरिया पिएरा ने अपनी जांच पड़ताल में यह पाया है कि स्कूली बच्चों को नाश्ते में दिया जा रहा दूध उनके स्वयं के द्वारा तय किए गए पोषण के न्यूनतम मानक को पूरा नहीं करता. अतः दूध की खरीदी रोकी जाए. डॉ. थारसिस हरनांदेज, एसडीपी के अध्यक्ष का कहना है कि मंत्रालय द्वारा आपूर्ति किया जा रहा दूध दूध नहीं है, बल्कि महज शक्कर मिश्रित मीठा पानी है.
सेंटो डोमिने चिट्ठा [es] के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने बहुत से दूध प्रदायकों को दूध प्रदाय हेतु ठेका दिया है, इनमें डोमिनिकन डेयरी प्रोड्यूसर्स (लेडोम) भी शामिल है. स्कूली बच्चों को प्रदाय किए जा रहे दूध की गुणवत्ता की जांच परख करने वाली कमेटी के सभापति मंत्री अलजेंद्रिना जर्मन हैं, जिनकी सुपुत्री लेडोम में एक प्रसाशनिक अधिकारी हैं. जर्मन का कहना है कि यह द्रव विषैला नहीं है:
Pero esa no es la inquietud en relación al líquido que Lacteos Dominicanos (LADOM) introduce en nuestras escuelas públicas y pretende hacer pasar por leche. El problema está en que este líquido no tiene los nutrientes suficientes para llamarse leche y es comparable a un suero de agua con colorante. Frente a estas acusaciones Alejandrina Germán se hizo la loca y declaró que el líquido no intoxica. ¿Y cuando ha visto ella que el agua con colorante intoxica?
समस्या ये नहीं है कि लेडोम एक किस्म के सफेद द्रव को दूध के नाम से स्कूली बच्चों को परोस रहा है. समस्या यह है कि इस द्रव में पर्याप्त मात्रा में वो पोषण कारक तत्व नहीं हैं जो दूध में होते हैं. इसे एक तरह से रंगीन पानी ही कहा जा सकता है. अलजेंद्रिना जर्मन इन आरोपों पर कान नहीं दे रही हैं और उन्होंने घोषित किया है कि प्रदाय किया जा रहा द्रव विषैला नहीं है. तो उन्होंने कब ये देख लिया कि रंगीन पानी विषैले होते हैं ?
कलर विजन के संवाददाता पिएरा ने पहली जून के आसपास इस समाचार को ब्रेक किया था. क्लेव डिजिटल [es] ने पोस्ट लिखा है कि एक चिंतित अभिभावक का पत्र उन्हें मिला है . जिसमें दूध की घटिया गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है तथा अपने बच्चे को उसका विकल्प प्रदान कर सकने की अपनी असहायता को बताया है. अपने सहकर्मी पत्रकार ओदालिस कास्तिलो के साथ पिएरा ने दूध की जांच की और पाया है लेडोम ब्रांड का दूध प्रोटीन की न्यूनतम गुणवत्ता को पूरा नहीं कर रही है. .
क्लेव डिजिटल [es] के अनुसार, जर्मन ने इन वक्तव्यों को यह कहते हुए नकार दिया है कि स्कूलों में प्रदाय किए जा रहे दूध में प्रोटीन की न्यूनतम गुणवत्ता नहीं रखने वाले दूध प्रदाय नहीं किए जा रहे हैं. हालाकि जब उन्हें कुरेदा गया तो उन्होंने उस दूध प्रदायक का नाम बताने से इंकार कर दिया जिसे अस्थाई तौर पर निलंबित किया गया था.
एल इनफ़ॉर्मादोर [es] के चिट्ठाकार लिखते हैं कि फेडरेशन ऑफ डोमिनिकन मर्चेंट के मुखिया इवान ग्रासिया का कहना है कि डोमिनिकन डेयरी कंपनी (लेडोम) को हर साल निशाना बनाया जाता है चूंकि अन्य उत्पादक अपनी क्षमता लेडोम जैसा श्रेष्ठ नहीं बना पा रहे हैं और इस तरह के व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता में गलत आरोप लगाए जाते हैं.
Explicó que ahora se han inventado que la leche que sirve esta industria al Desayuno Escolar “es pura agua”, una denuncia falaz, sin fundamentos, que no resiste al más mínimo razonamiento de una población inteligente, como la dominicana, que sabe distinguir entre lo bueno y lo malo, lo que tiene calidad en el mercado.
(ग्रेसिया) स्पष्ट करते हैं कि इस उद्योग द्वारा प्रदाय किये जा रहे दूध को बिना सबूत “सिर्फ पानी” कहना गलत है. इस बात में इसलिए भी कोई दम नहीं है चूंकि बुद्धिमान डोमिनिकन वर्ग के लोगों ने, जिन्हें अच्छे और बुरे गुणवत्ता वाली चीजों में फर्क करना आता है, भी इन बातों को तूल नहीं दी है. .