आलेख परिचय इतिहास
जॉर्जिया के पांच वर्षीय राजकुमार की हुकूमत के लिए तैयारी
"यह एक बड़ी घटना थी कि दो सौ साल बाद जॉर्जिया के राजकुमार के रूप में एक बच्चा बपतिस्मा हुआ"
जापान : यौन दासियों की लंबित मांगों पर ध्यान खींचते वीडियो
द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के साठ साल से अधिक बीत जाने के बाद भी जापानी सेना के आदेशों के तहत अपहृत की गई स्त्रियाँ अब भी न्याय की बाट जोह रही हैं. इन स्त्रियों को सैनिक “आराम गृहों (कम्फ़र्ट स्टेशन) ” में यौन दासियों के रूप में जबरिया...
रूसः ओका
टर्किश इंवेज़न ओका नामक कार के बारे में लिखते हैं, “मास्को में पिज्ज़ा डेलिवरी के लिये ओका कार का भारी प्रयोग होता है, क्योंकि जाहिर तौर पर सर्दियों में बाईक चलाने की तुलना में यह ज्यादा गर्म रहता है। पर इसे चलाने वाले शौकीन अब मुट्ठी भर ही बचे हैं,...
यूक्रेनः प्रदर्शनी का सच?
मॉस्को में होलोडोमोर प्रदर्शनी में कलाविध्वंस (वैंडेलिज़्म) की घटना पर वहाँ के मेयर युरी लुज़कोव ने कहा, “मुझे लगता है कि इस प्रदर्शनी का बस एक ही मकसद थाः रूसी और युक्रेनी लोगों का एका तोड़ना और उनमें दरार पैदा करना।” यूक्रेनियाना इस तर्क को होलोकास्ट के परिपेक्ष्य में भी...
गाँधी के बाद भारत
लॉ एंड थिंग्स रामचंद्र गुहा की किताब “इंडिया आफ्टर गाँधी” की विभिन्न समीक्षाओं के बारे में लिख रहे हैं।
आर्मीनियाः खुला पत्र
तुर्की लेखक व चिट्ठाकार मुस्तफा अक्योल की आर्मीनियाई जातिसंहार विषय पर आप्रवासी आर्मीनियाई को लिखे खुले पत्र का जवाब “लाईफ इन आर्मीनिया” चिट्ठे के लेखक रफी ने तुर्की नागरिकों को लिखे अपने खुले पत्र से दिया है। 1915 से 1917 के बीच हुई घटनाओं को जातिसंहर का दर्जा देते हुये...
हिन्दी : क्रिकेटिया माहौल और एक शहीद की याद
24 सितम्बर की शाम को दिल्ली में खुशियों का सैलाब तब बह निकला जब श्रीसंथ ने मिशाब-उल-हक का वो कैच पकड़ा जिसने भारत को पहले ट्वेंटी20 विश्वकप में शानदार जीत दिला दी!! मेरी पलक झपकी भी नहीं थी कि आस पड़ोस पटाखों की आवाजों से पट गया!! बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ...
अफ्रीका: औपनिवेशिक सच
औपनिवेशिक इतिहास, एकोसो लिखते हैं, अगर उपनिवेशी की नज़र से देखा जाय तो कुछ बयां किया जा सकता हैः आई केम, आई सॉ, आई कांकर्ड। देन आई लाईड अबाउट इट (मैं आया, मैंने देखा, मैंने विजय प्राप्त की। और फिर मैंने इसके बारे में झूठ कहा)।”
पाकिस्तानः ट्राम की यादें
आल थिंग्स पाकिस्तान उन दिनों की याद कर रहे हैं जब कराँची में ट्राम चला करती थी।
भारत: रामायण के राम
वर्णम हालिया सेतुसमुद्रम विवाद पर लिखते हैं कि राम वाकई थे कि नहीं ये पता करने के केवल पुरात्तविक प्रमाण ही देने के प्रयास में एएसआई ने इतिहासकारों को नकार दिया।