अक्टूबर, 2007

आलेख से अक्टूबर, 2007

ग्यूटेमाला: घर की याद आती है

  30 अक्टूबर 2007

ग्यूटेमाला में आंतरिक या बाहरी देशों को देशान्तरण आम बात है। संघर्ष और गंभीर गरीबी व हिंसा के सालों में अनेको ग्यूटेमालाई लोगों ने पाया कि उनके देश में अब संभावनायें नहीं बची हैं। नतीजतन असंख्य लोगों ने जीने के अन्य मौकों की तलाश में और अपने जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिये अपना घर छोड़ कर राजधानी या उत्तर की ओर रुख किया। निःसंदेह अपने परिवार व दोस्तों और अपने घर से दूर रहने को मजबूर कईयों की जिंदगी में अभूतपूर्व बदलाव भी आये।

उत्सव, दावत और मुस्कुराहटों का दान

  16 अक्टूबर 2007

बीते शनिवार को तमाम विश्व के मुसलमानों ने रमजान की समाप्ति पर ईद-उल-फित्र का त्यौहार मनाया. चेन्नई के चिट्ठाकार अबुल कलाम अपना अनुभव बांट रहे हैं. उनके उत्साहित बच्चे अपने दोस्तों व पड़ोसियों को मिठाइयाँ बांट रहे हैं. उनकी सबसे छोटी पुत्री अपने गैर-मुसलिम दोस्तों की सहायता से रमजान के बारे में एक विस्तृत प्रोजेक्ट तैयार कर रही है. आजाद सोच रहे हैं कि किसी दिन उनकी बेटी जरूर ही अपने दोस्तों के साथ मिल कर इसी तरह के प्रोजेक्ट, दीपावली पर काम करेगी.

जापान: सुमो कुश्ती पर संकट के बादल

  10 अक्टूबर 2007

जापान के “राष्ट्रीय खेल” – सुमो कुश्ती के लिए यह महीना कुछ अच्छा नहीं रहा. सबसे पहले तो मंगोलियाई पहलवान असाशोरयू, दो योकोजुना (शीर्ष क्रम की कुश्ती कक्षा) में से एक से अपने घर वापस चला गया. जहाँ उसे ड्यूटी बजाने में बीमारी का बहाना बनाकर कोताही बरतने की आलोचनाओं...

अरबी : आपका धर्म क्या है?

कुछ अरब देशों में दफ़्तरशाही जीवन का अभिन्न अंग है. मिस्र के चिट्ठाकार नोरा यूनिस ने हमें दिखाया है कि जब दफ़्तरशाही के कामकाज धार्मिकता के साथ जुड़ते हैं तब क्या हो जाता है. इस पोस्ट में मैंने अरबी से अनुवाद किया है.

हिन्दी : क्रिकेटिया माहौल और एक शहीद की याद

  1 अक्टूबर 2007

24 सितम्बर की शाम को दिल्ली में खुशियों का सैलाब तब बह निकला जब श्रीसंथ ने मिशाब-उल-हक का वो कैच पकड़ा जिसने भारत को पहले ट्वेंटी20 विश्वकप में शानदार जीत दिला दी!! मेरी पलक झपकी भी नहीं थी कि आस पड़ोस पटाखों की आवाजों से पट गया!! बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ...