70 के दशक का पोलिश टीवी कार्टून आज के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की शिक्षा को बढ़ावा दे सकता है

दोब्रोमीर अपने एक “यूरेका!” लम्हे से पहले। कार्टून से लिया स्क्रीनशॉट।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (जिन्हें अक्सर संक्षेप में STEM कहा जाता है) विषयों को बच्चों के लिए और अधिक आकर्षक कैसे बनाया जा सकता है?

1970 के दशक में निर्मित एक पोलिश टीवी कार्टून श्रृंखला ने साबित कर दिया कि स्टेम विषय साथ ही साथ मनोरंजक और लोकप्रिय हो सकते हैं।

पोमीस्लोवी दोब्रोमीर 1973 से 1975 के मध्य रोमन हसको और एडम स्लोडोवी द्वारा पोलैंड में निर्मित एनिमेटेड कार्टून की एक लोकप्रिय श्रृंखला है। इसका शीर्षक “आविष्कारशील दोब्रोमीर” का अमूमन अनुवाद है। पोमीस्लोवी शब्द का मतलब चतुर या सरल भी हो सकता है, जबकि नाम दोब्रोमीर मूल शब्द “डोब्रो” से बना है जिसका सभी स्लाविक भाषाओं में मतलब है “अच्छा”।

मुख्य चरित्र दोब्रोमीर एक होशियार बच्चा है जो अपने दादा के खेत पर विभिन्न रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान निकलने के बारे में सोचता रहता है। किसी समस्या का विश्लेषण करने के बाद, वह यांत्रिक उपकरणों के मॉडल और प्रोटोटाइप बना देता है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह है की यह एनीमेशन दोब्रोमीर के बनाये यांत्रिक उपकरणों के बुनियादी सिद्धांतों और उपयोग के बारे में जानकारी देता है।

श्रृंखला के 20 एपिसोड बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं। प्रत्येक प्रकरण में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़ी अवधारणाओं और उनके व्यावहारिक उपयोग बताये गये हैं, जो वर्तमान स्टेम पाठ्यक्रम के अंतःविषय दृष्टिकोण को दर्शाता है।

इस श्रृंखला के पटकथा लेखक एडम स्लोडोवी एक आविष्कारक हैं। उन्होंने पोलिश राष्ट्रीय टीवी पर कई दशकों तक “डू-इट-योरसेल्फ” शो की मेजबानी भी की।

श्रृंखला पर दिखाए कुछ उपकरणों में पानी के पंप, हार्वेस्टर और घड़ियां शामिल हैं। नीचे दिए कार्टून में देखें कि कैसे दोब्रोमीर इन सरल औजारों का उपयोग कर उपकरणों का निर्माण करने में सफल होता है:

शीत युद्ध काल के दौरान आयरन कर्टेन के पीछे गहरे छुपे एक देश के रूप में पोलैंड को सांस्कृतिक निर्यात के लिए ज्यादा मौका नहीं मिला था। हालांकि, इसका कार्टून उद्योग राष्ट्रीय और सोवियत ब्लॉक की सीमाओं पार करने में कामयाब रहा और गैर गठबंधन यूगोस्लाविया सहित सभी मध्य और पूर्वी यूरोप में लोकप्रियता हासिल कर सका।

दोब्रोमीर सहित कई पोलिश कार्टून फिल्मों में मुख्य पात्रों के बीच संवाद न के बराबर होते हैं, इस वजह से मूल प्रसारण के दशकों बाद भी उनकी सार्वभौमिक अपील आज भी बरकरार है। इस श्रृंखला के ज्यादातर प्रकरण सरकारी यूट्यूब चैनल पर और उत्साही प्रशंसकों द्वारा पोस्ट किये संस्करणों के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

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