एड्वोक्स नेटिजेन की यह रिपोर्ट दुनिया भर में तकनीक व मानव अधिकारों से जुड़ी चुनौतियां, उपलब्धियां तथा उभरती तस्वीरों का एक ख़ाका पेश करती है. इस रिपोर्ट में 8 से ले कर 14 फरवरी, 2019 की खबरें शामिल की गयीं हैं.
राजनैतिक तनावों को देखते हुए फ़रवरी की शुरुआत से ही अधिकारियों ने कम से कम भारत के तीन राज्यों में अस्थायी तौर पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया है. इनमें राजस्थान, जम्मू-कश्मीर एवं मणिपुर शामिल हैं.
मणिपुर का विरोध प्रदर्शन विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ था. लगातार 24 घंटों तक सड़क जाम से उग्र होते विरोध पर लगाम लगाने के लिए अधिकारियों ने 11 फरवरी को इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस के साथ ही कुछ इलाकों में कर्फ्यू की घोषणा भी की गयी.
मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित इस विधेयक का सीमावर्ती राज्यों में पुरजोर तरीके से विरोध किया गया है. महज चंद महीनों में आने वाले आम चुनाव ने भी इस विरोध को गति दी है. मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्य (इसकी सीमा म्यांमार से सटी हुई है) में एशिया के अन्य इलाकों से आने वाले प्रवासियों की बड़ी संख्या है. इस विधेयक के लागू होने से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से आये प्रवासियों में कुछ समूहों को धार्मिक आधार पर नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता मिल जाएगा.
मणिपुर में इस विधेयक के विरोध में खड़े लोगों का मानना है कि इसके लागू होने से संसाधन की कमी से जूझ रहे इस राज्य में प्रवासियों की संख्या को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा कुछ समूह इस विधेयक में निहित धार्मिक भेदभाव को अपने विरोध का कारण बताते हैं. इस विधेयक से बौद्ध, ईसाई, हिन्दू तथा सिक्ख धर्मावलम्बियों को तो धार्मिक आधार पर शामिल किये जाने का प्रस्ताव है लेकिन मुसलमानों को इस से बाहर रखा गया है.
उधर राजस्थान में राज्य-सरकार की नौकरियों में गुज्जरों ने अपनी जातिगत आधार पर आरक्षण के लिए बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के अन्य तरीकों में दिल्ली-मुंबई रेल लाइन को लगातार पांच दिनों तक बाधित किया जाना भी शामिल है. इस वजह से 11 फरवरी को ही सरकार ने पूरे दिन इन इलाकों की इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दिया.
जम्मू-कश्मीर में 3 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर संकट-ग्रस्त इलाकों में सभी इंटरनेट सेवाएँ बाधित रहीं. इंटरनेट पाबंदी यहाँ के बाशिंदों के लिए नयी बात नहीं है, जिन्होंने पिछले दो सालों में ऐसी कई पाबंदियां झेली हैं. नई दिल्ली स्थित सॉफ्टवेर फ्रीडम सेंटर के अनुसार केवल 2018 में ही 65 बार मोबाइल सेवाओं पर पाबंदी लगाई गयी है.
स्वतंत्र मीडिया साईट, रैप्लेर की स्थापिका तथा मुख्य संपादक एवं सीएनएन के लिए मनिला तथा जकार्ता की पूर्व ब्यूरो प्रमुख मारिया रेस्सा को 13 फ़रवरी को गिरफ्तार कर लिया गया, जब फिलिपीन, न्याय विभाग ने उनके और रैप्लर के पूर्व कर्मी, रेय्नाल्दो सैंटोस के खिलाफ ‘साइबर मानहानि’ का मुकदमा दायर किया. यह मुकदमा व्यवसायी, विल्फ्रेदो डी. केंग की शिकायत पर दर्ज किया गया है. 2012 में रैप्लेर ने अपनी एक रिपोर्ट में अवैध ड्रग्स तथा मानव तस्करी के गिरोह में उनका नाम भी शामिल किया था.
14 फरवरी को रेस्सा को जमानत पर रिहा किया गया. पत्रकारों को दिए वक्तव्य में उन्होंने कहा, ‘मैंने छट्ठी बार जमानती मुचलका भरा है. सजायाफ्ता अपराधी भी मुझसे कम जमानत पर रिहा होते हैं. मुझे इमेल्डा मार्कोस से भी ज्यादा जमानत भरनी पड़ेगी.’
फिलीपींस में ड्रग्स से संबंधित न्यायेतर हत्यायों पर रैप्लेर ने जैम कर लिखा है. इस वजह से कई बार राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने साईट की आलोचना भी की है. उन्होंने खुले तौर पर रैप्लेर को ‘झूठी ख़बरों का स्त्रोत’ बताया है.
इंटरनेट विशेषज्ञों ने यह सूचना दी है कि 12 तथा 13 फरवरी को मदुरो सरकार के खिलाफ खड़े दलों तथा समूहों से संबंधित साइटों के साथ किसी ने छेड़खानी की है. वेनेज़ुएला की राष्ट्रीय विधानागार से संबंधित वेबसाइट को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क, दोनों पर मुश्किलें आ रहीं हैं.
इस मामले में सब से ज्यादा परेशानी वोलुन्तारियो वेनेज़ुएला ( VoluntariosxVenezuela) साईट पर महसूस हुई. यह वेनेज़ुएला के विपक्षी दलों से जुडी साईट है, जहाँ जरूरतमंद लोगों को दवाओं तथा भोजन की आपूर्ति संबंधित जानकारी दी जाती है. 12 फरवरी को जब लोगों ने इस साईट को खोलने की कोशिश की तो उन्हें इसकी जगह, इसी तरह की एक नकली साईट (voluntariovenezuela.com) का पेज मिला. इंटरनेट पर यह गतिविधि सरकारी सेवा प्रदाता, कैन टीवी CAN TV) के नेटवर्क पर की जा रही थी. संवाददाता आंद्रे अज्पुरुआ के मुताबिक़ यह कोशिश धोखे से सरकार के विपक्ष में खड़े लोगों से जुडी निजी जानकारी हासिल करने के लिए की जा रही थी. यह नकली वेबसाइट, जो कि डिजिटल ओसियन (Digital Ocean) के प्लेटफार्म पर बनी थी, अब मौजूद नहीं है.
VESinFiltro तथा NetBlocks ने सूचना दी है कि YouTube समेत कई गूगल सेवाएँ अब कैन टीवी पर उपलब्ध नहीं हैं.
8 फरवरी को फेसबुक ने कुल 732 एकाउंट्स पर प्रतिबंध लगाया जो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नाम के तहत चल रहे थे. इनका काम मुख्यतः अफवाहों तथा गलत ख़बरों को प्रसारित करना था. सरकारी सूत्रों के अनुसार फेसबुक ने यह कदम राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी विभाग के अनुरोध पर उठाया है. ईरान, इंडोनेशिया तथा म्यांमार में गलत ख़बरों के प्रसारण पर बड़ी संख्या में एकाउंट्स पर प्रतिबंध लगे थे, पर उस से उलट इस कार्यवाई को फेसबुक ने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर जगह नहीं दिया है.
जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री तथा उनके संबंधियों के नाम पर फेसबुक एकाउंट्स बनाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनका मुख्य काम अफवाह फैलाना तथा लोगों से पैसे ऐंठना था.
विएतनाम के ब्लॉगर त्रुओंग दुय न्हात 26 जनवरी से लापता हैं. न्हात रेडियो फ्री एशिया के लिए एक राजनैतिक ब्लॉग लिखते हैं. शरणार्थियों के संयुक्त राष्ट्र के उच्च दूतावास में शरण मांगने के लिए आवेदन करने न्हात 25 जनवरी को थाईलैंड की राजधानी बैंकाक पहुंचे थे.
न्हात एक पत्रकार तथा सामजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं. इन्हें विएतनाम सरकार ने 2014-15 में ‘राज्य के खिलाफ झूठ फैलाने’ तथा ‘लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग’ के लिए जेल में बंद कर दिया था.
जुलाई, 2018 में जब यूगांडा में सोशल मीडिया कर लागू हुआ है, तब से इंटरनेट के उपभोक्ताओं की संख्या में 12 प्रतिशत की गिरावट आई है. जहाँ इस कर के लागू होने से पहले 47 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपभोग करते थे, वहीं यह संख्या अब 35 प्रतिशत ही रह गयी है. इस कर के तहत सोशल मीडिया या आईपी आधारित अन्य संदेश सेवाओं के प्रयोग के लिए उपभोक्ताओं को प्रतिदिन सोशल मीडिया कर चुकाना है.
कईयों का मानना है कि इस कर से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होता है. जब इंटरनेट के उपभोग के लिए पहले ही नियत कर चुकाया जाता है तो इस कर के आने से एक ही सेवा के लिए दोहरा कर लगाया जा रहा है. इस कर के लागू होने से पहले विपक्षी दल के सांसदों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा आम जनता ने इस बात को आधार बनाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया कि इस से हज़ारों की जनसँख्या ऑनलाइन सेवाओं से वंचित रह जायेगी. जनसँख्या का 70 फीसदी हिस्सा युवाओं से भरा है. 2018 की तीसरी तथा चौथी तिमाही से मिले इंटरनेट उपभोग के आंकड़े उनकी मान्यता को सही साबित करते हैं.
इस रिपोर्ट के पीछे Ellery Roberts Biddle, Marianne Diaz, Rohith Jyothish, Rezwan Islam, Mong Palatino, Georgia Popplewell तथा Laura Vidal का योगदान है.