आलेख से राउंडअप से सितम्बर, 2007
युद्ध विरोध रैली से इराकी ही नदारद
इराक पंडित वाशिंगटन में एक युद्ध विरोध रैली में शामिल हुये पर, “मुझे इराकियों के वहाँ होने के संकेत ही नहीं मिले, भले कुछ वहाँ रहे हों। इराकियों ने इस मार्च का कोई लाभ नहीं उठाया कि वे अमेरीका पर इराक से सेना वापस लेने की माँग रखें। दरअसल आप रैली के बीचोंबीच खड़े होते, जैसे कि मैं था, और इराकियों को कोई ज़िक्र नहीं सुनते। कम से कम मैंने तो नहीं सुना।”
जापान: माँजू रिएक्टर मामले की सुनवाई शुरु
टोक्योडो-2005 जापान के फुकुई प्रीफेक्चर के माँजू फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में 1995 में हुये कुख्यात सोडियम रिसाव और अग्निकाँड और दुर्घटना के तुरंत बाद लिये विडियो को छुपाने के मामले के बारे में लिखते हैं (जापानी पोस्ट)। वे बताते हैं कि 20 सितंबर से मामले की तोकियो उच्च न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हो चुकी है।
पाकिस्तानः ट्राम की यादें
आल थिंग्स पाकिस्तान उन दिनों की याद कर रहे हैं जब कराँची में ट्राम चला करती थी।
चीन: मुक्त वाणी का अदालती मामला
लिउ झिआओ युआन, जो एक वकील भी है, ब्लॉग होस्टिंग कंपनी सोहू डॉट कॉम पर अपने पोस्ट नष्ट कर देने के कारण दायर मामले के बारे में लिख रहे हैं। 12 सितंबर को अदालत ने मामला खारिज कर दिया तो उन्होंने स्थानीय मीडिया को यह जानकारी दी पर किसी भी समाचार पत्र ने खबर को प्रकाशित करने लायक नहीं समझा।
इरानः पाकिस्तान, तुर्की और हम
पूर्व उप राष्ट्रपति मुहम्मद अली अब्ताही कहते हैं कि पाकिस्तान तथा तुर्की के हालिया राजनैतिक अनुभव इरान में स्वतंत्रता के प्रति आशंकित अधिकारियों के लिये फायदेमंद है। दम घोंटू राजनैतिक वातावरण तथा छात्रों, कामगारों, महिलाओं, इंटरनेट, युवाओं तथा राजनैतिक सक्रियतावादियों के खिलाफ आक्रामक रुख देश की सुरक्षा के लिये खतरनाक है।
ओमानः मुद्रा स्फीति में बढ़त
मस्काटी लिखते हैं कि ओमान में मुद्रा स्फीति की दर बढ़ रही है, “एक महीने में खाने की कीमतें 11.1 फीसदी बढ़ गई हैं। पिछले माह की 9.1 फीसदी इसमें जोड़ दें तो सिर्फ मई जून में ही 20 प्रतिशत बढ़त है यह।”
क्यूबा: पावारोती का देहांत
बबालू ब्लॉग दिवंगत लुसिआनो पावारोती को श्रद्धांजलि देते लिखते हैं, “वे एक मौलिक टेनर (ऊंचे सुर के गायक) थे। ओपेरा और संगीत सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति हमेशा रहती थी और उन्होंने लगभग अपने दम पर ओपेरा को अमेरिका तथा विश्व संस्कृति की मुख्यधारा में स्थान दिलाया।”
सऊदी अरब: फुटपाथ पर भी लिंगभेद
फिलिस्तीनी चिट्ठाकार हैथम सबाह एक समाचार के हवाले से बता रहे हैं कि सऊदी अरब में जल्द ही लिंग के आधार पर बंटे साईडवॉक (फुटपाथ) दिखने लगेंगे। “क्या पैगंबर मुहम्मद ने दो साईडवॉक बनाने का हुक्म जारी किया, एक मर्द के लिये एक और के लिये? औरतों के लिये अलग साईडवॉक इस विचार में ही कितनी विडंबना है…मेरा मतलब, आप इसकी पहचान कैसे करेंगे? फुटपाथ गुलाबी रंग में रंगकर?”, वे लिखते हैं।
बाहरीन: कठिन तलाश नौकरी की
बाहरीन के टीटो 84 नौकरी की तलाश में हैं और हमें बाहरीन में नौकरी की तलाश करने वालों की तकलीफों से रूबरू करा रहे हैं जहाँ पढ़े लिखे उम्मीदवारों को भी महज़ 200 बाहरीनी दीनार (यानि 530 डॉलर या लगभग दस हज़ार रुपये) की माहवार तनख्वाह की पेशकश की जा रही है।
अफ्रीका: औपनिवेशिक सच
औपनिवेशिक इतिहास, एकोसो लिखते हैं, अगर उपनिवेशी की नज़र से देखा जाय तो कुछ बयां किया जा सकता हैः आई केम, आई सॉ, आई कांकर्ड। देन आई लाईड अबाउट इट (मैं आया, मैंने देखा, मैंने विजय प्राप्त की। और फिर मैंने इसके बारे में झूठ कहा)।”
भारत: रामायण के राम
वर्णम हालिया सेतुसमुद्रम विवाद पर लिखते हैं कि राम वाकई थे कि नहीं ये पता करने के केवल पुरात्तविक प्रमाण ही देने के प्रयास में एएसआई ने इतिहासकारों को नकार दिया।
जापान: बंदूकनुमा लाईटर कांड पर विवाद
किक्को उस किस्से के बार में लिख रहे हैं (जापानी पोस्ट) जिसमें एक योकोहामा में एक कार्यविरत अधिकारी को इसलिये गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने कथित तौर पर बंदूकनुमा लाईटर को लहराते एक लड़के को पीटा। किक्को बताते हैं कि मीडिया ने घटना को तोड़ मरोड़ कर पेश किया, दरअसल वो लड़का और उसके कुछ दोस्त लाईटर से मज़ाक कर रहे थे और उन्हें ट्रेन स्टेशन के कर्मचारी ने रोका जिसकी बात उन्होंने मानी भी। पर इस अधिकारी ने लड़के को हंसते देखा और इस बात पर, कि लड़के को कोई पछतावा नहीं है, उसे इतना गुस्सा आया कि उसने लड़के को पीट दिया।
जॉर्डन: यूटयूब बना नौकरी तलाश करने का ज़रिया
जॉर्डन से हातेम लिखते हैं, “आजकल नौकरी पाने के उत्सुक यूट्यूब जैसी जगहों पर अपनी काबलियत बता रहे हैं और नियोक्ताओं से उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है”।”
जापान: जो बोया सो काटा
एंपोन्टेन जापान में पैसे, राजनीति और सरकार की लंबे समय से जारी साँठगाँठ के बारे में लिखते हैं जिसमें उन्होंने कृषि मंत्री मात्सुओका तोशीकात्सू पर आधारित एक पुस्तक के बारे में एक चिट्ठे का अनुवाद किया है। जापानी राजनीति में हुये पैसों के असंख्य घोटालों का ज़िक्र करते हुये वे कहते हैं, “ये सभी बदनाम लोग डाएट# में अपनी सीटें बचाये रखने में सफल रहे। जैसा की कहावत है, जनता को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। और जापानी मतदाता इसी के लायक है।”
इराकः क्या इस्लाम ही हल है?
इराक द मॉडल पूछते हैं क्या इराक में हिंसा के खात्मे का हल इस्लाम है? उनका जवाब है, “सचाई यह है कि राजनीतिक इस्लाम समस्या का हल नहीं वरन जड़ है। और ये केवल ईराक ही नहीं इस क्षेत्र के अन्य अनेक देशों के बारे में सच है जहाँ राजैनतिक इस्लामिक आंदोलनों की बहुतायत रही है। वे अपना व्याख्यान इस्लाम के कथित स्वर्ण युग से शुरु करते हैं और ये वायदा करते हैं कि अगर लोग इस्लाम की जड़ों की ओर लौटें तो एक नया स्वर्ण युग आयेगा…पर जब इस्लामी हुकुमत थी तब क्या हुआ था? किसी भी लिहाज से वो स्वर्ण युग तो नहीं था।”