आलेख से और

मोज़ाम्बीकः स्कूल फिर शुरु, पर सबके लिये नहीं

  28 जनवरी 2008

जूलियो मोज़ाम्बीक में, जहाँ अनेक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, पाठशालाओं के नये सत्र की शुरुवात और देश में शिक्षा की दिक्कतों के बारे में लिखते हैं। “मैं तो शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में भी बात नहीं कर रहा। मैं सिर्फ बात कर रहा हूँ इस देश के हज़ारों...

जमैका: कौड़ियों के दाम जिस्म

  8 दिसम्बर 2007

स्टनरर्स एफ्लिक्शन कहते हैं, “जी हाँ, ये नौ से ग्यारह जमात की लड़कियाँ अपने जिस्म महज़ 10 जमैकन डॉलर (लगभग 0.14 अमरीकी डॉलर या साढ़े 5 रुपये) में बेच रही हैं। इसे रोकने के लिये कुछ तो करना ही चाहिये।”

मलेशियाः दूसरों के बैग से रखें परहेज़

  7 दिसम्बर 2007

रॉकी मलेशियाई लड़कियों को आगाह करते लिखते हैं कि वे विदेश प्रवास के समय दूसरों के बैग ढोने से बचें। हाल ही में ऐसी घटनायें हुई हैं जिनमें ड्रग स्म्गलरों ने मलेशियाई औरतों की जानकारी के बिना उनके बैगों को वाहक के रूप में इस्तेमाल किया।

इरानः अमरीकी सैनिक और इराकी बच्चे

रज़ेनो ने इराक में बच्चों की देखरेख करते अमरीकी सैनिकों की कई तस्वीरें प्रकाशित की हैं। इस चिट्ठाकार का कहना है कि इरानी मीडिया कभी ऐसी तस्वीरें नहीं छापता। भले ही युद्ध एक स्याह दास्तां हो पर इनमें मानवीय संवेदनायें भी तो शामिल रहती हैं।

जापान: बंदूकनुमा लाईटर कांड पर विवाद

  9 सितम्बर 2007

किक्को उस किस्से के बार में लिख रहे हैं (जापानी पोस्ट) जिसमें एक योकोहामा में एक कार्यविरत अधिकारी को इसलिये गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसने कथित तौर पर बंदूकनुमा लाईटर को लहराते एक लड़के को पीटा। किक्को बताते हैं कि मीडिया ने घटना को तोड़ मरोड़ कर पेश किया, दरअसल...

ट्रिनीडाड व टोबैगो: काँडोम का तर्क

  24 अगस्त 2007

“सचाई ये है कि लोग यौन संबंध बना रहे हैं, चाहे अवैध हों या नहीं, और इनमें से भयावह तादात में हमारे मुल्क के लोग एचआईवी तथा अन्य STI (यौन जनित संक्रमण) से संक्रमित हो रहे हैं”। रैंबलिंग एंड रीज़न युवाओं को यौनिक रूप से जिम्मेदार बनाने के बारे में...

बांग्लादेश: छात्र संघर्ष और कर्फ्यू

  22 अगस्त 2007

ढाका विश्वविद्यालय में उपद्रव के पश्चात बांग्लादेश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। रेज़वान घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।

मंगोलियाः बेघर बच्चों की करुण व्यथा

बोनी वायेड वर्ल्ड विज़न के एक विडियो का पता दे रही हैं जो मंगोलिया के बेघर बच्चों की व्यथा कथा बताता है। ये बच्चे बर्फीले ठंड से बचने के लिये भूमिगत पाईपों में रहते हैं जहाँ वातावरण गर्म तो है पर जीवन नरकीय।