एक ऐतिहासिक फैसले में ऑस्ट्रेलियाई अदालत ने पर्यावरण का हवाला देते हुए नए कोयला खदान के लिए मंजूरी रद्द कर दी है. यह प्रस्तावित कोयला खदान न्यू साउथ वेल्स में ग्लौसेस्टर के पास रॉकी हिल माइन के नाम से जाना जाता है. न्यू साउथ वेल्स की भूमि तथा पर्यावरण अदालत के मुख्य न्यायाधीश ने माना कि इस खुले खदान को मंजूरी देना, ‘गलत समय पर गलत चीज़ को बढ़ावा देना होगा’.
उन्होंने माना कि:
The construction and operation of the mine, and the transportation and combustion of the coal from the mine, will result in the emission of greenhouse gases, which will contribute to climate change.
खदान के निर्माण व संचालन एवं कोयला के परिवहन व दहन से ग्रीनहाउस गैस का स्राव होगा, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित होगा.
स्थानीय संगठन ग्राउंड्सवेल ग्लौसेस्टर के समाजसेवी सदस्य इस निर्णय से बेहद खुश हैं. पर्यावरण संबंधी वकील एलेन जॉनसन ने ट्विटर पर लिखा :
“People in the packed courtroom quietly celebrated, hugging and shaking hands with each other, as Justice Preston delivered his judgment, with one opponent to the mine breaking down in tears.”
What a privilege to share this with @EDONSW clients @GGlo2422https://t.co/L3nZbh3hS2
— Elaine Johnson (@ElaineEDO) February 8, 2019
जब न्यायाधीश प्रेस्टन ने अपना निर्णय सुनाया तो खचाखच भरे अदालत में लोग भावुक हो उठे. एक-दूसरे से हाथ मिलाकर और गले लगाकर उन्होंने इस निर्णय का स्वागत किया. मेरे बगल में एक व्यक्ति के आँखों में आंसू छलक उठे.
इस ऐतिहासिक निर्णय पर वकीलों, शिक्षाविदों, पर्यावरण से जुड़े विद्वान्, अर्थशास्त्रियों तथा पैरोकारी से जुड़े लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. पर्यावरण से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता जॉन एन्ग्लार्ट ने ट्विटर के जरिये एक वैश्विक संदेश दिया है:
NSW Land and Environment Court decision in #Australia on coal and #climatechange is sending shockwaves around the world: The Rocky Hill residents who stopped a coal mine using the law. What is climate litigation? Via @p_hannam https://t.co/1JG3vk33fW
— John Englart EAM (@takvera) February 16, 2019
कोयला खदान पर न्यू साउथ वेल्स की भूमि तथा पर्यावरण अदालत के फैसले ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है. इस कानून के बूते रॉकी हिल के बाशिंदों ने कोयला खदान पर रोक लगाने में सफलता दर्ज की. आखिर यह पर्यावरण विधान क्या है?
पर्यावरण क़ानून के विद्वान् जस्टिन बेल-जेम्स ने ‘द कन्वर्सेशन’ से बातचीत के दौरान इस विधान की अहमियत पर टिप्पणी दर्ज की:
It is hard to predict whether his decision will indeed have wider ramifications. Certainly the tide is turning internationally – coal use is declining, many nations have set ambitious climate goals under the Paris Agreement, and high-level overseas courts are making bold decisions in climate cases.
यह कह पाना मुश्किल है कि यह निर्णय किस तरह के प्रभाव डालेगा. निश्चित रूप से पूरे विश्व में कोयला के उपभोग के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है. कई देशों ने पेरिस करार के तहत महत्वाकांक्षी पर्यावरण लक्ष्य बना लिए हैं. पर्यावरण से जुड़े मसलों पर बड़ी अदालतों में सख्त रुख अपनाया जा रहा है.
अर्थशास्त्री जॉन क़ुइग्गिन ने भी इस निर्णय के दूरगामी आयामों पर अपनी टिप्पणी रखी है:
[…] miners will sooner or later face demands for compensation for the damage caused by climate change.
The strongest case will be against mines that have commenced operation after the need to leave remaining reserves in the ground was already clear. Anyone considering investing in, lending to or insuring such mines should be prepared for more decisions like Rocky Hill.
….निश्चित रूप से देर-सबेर खदान के मालिकों के सामने पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई करने का शर्त खड़ा होगा.
ऐसे मामलों में उन खदान मालिकों पर सबसे मजबूत फंदा कसा जाएगा जिन्होंने खदान की बुरी दशा जानने के बावजूद अपना काम जारी रखा. ऐसे खदानों में निवेश करने वाले, बीमा करने वाले या इन्हें दूसरे मालिकों को सौंपने वालों को रॉकी हिल के जैसे निर्णय की अपेक्षा रखनी चाहिए.
पेशेवर सुविधाएं देने वाला अंतर्राष्ट्रीय संगठन, हर्बर्ट स्मिथ फ्रीहिल्स, ‘जोखिम पर निगाह रखते हुए अवसर के दोहन’ की बात करता है. उसने अपने वर्तमान तथा भविष्य के ग्राहकों के लिए यह संदेश जारी किया है:
Proponents seeking consent for new projects, or modifications of existing projects, with ‘material’ greenhouse gas emissions across all industries in NSW should carefully assess climate change impacts, particularly if the proposal is not ‘carbon neutral’.
नयी परियोजनाओं के आवेदनकर्ता तथा मौजूदा परियोजनाओं में बदलाव के इच्छुक संचालकों को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ही अपनी कार्यवाई करनी चाहिए. ऐसी सभी परियोजनाओं में जहाँ ‘मुख्य’ ग्रीनहाउस गैसेज के स्राव की संभावना है वहां अगर परियोजना के संदर्भ में पेश किया गया प्रस्ताव ‘कार्बन रहित’ नहीं है तो उन्हें इस मसले पर ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.
ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख लॉ फर्म कोर्र्स चैम्बर्स वेस्त्गार्थ ने भी इसी दिन ऊपर व्यक्त की गयी भावना पर बल दिया:
Future proponents will need to seriously consider the decision, as will banks and others who would traditionally invest in or support coal and other fossil fuel-dependent industries.
It is possible that the increasing recognition of causative links between fossil fuel developments and climate change could pave the way for future compensation claims of the kind now being seen in the United States.
पारंपरिक तौर पर कोयला या फॉसिल फ्यूल से चलने वाले उद्द्योग के निवेशकों तथा बैंकों को इस निर्णय पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.
यह संभव है कि फॉसिल फ्यूल के उपयोग को पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव से जोड़ कर देखा जा सकता है. इस बिनाह पर भरपाई करने का दावा किया जा सकता है, जैस कि आज अमरीका में किया जा रहा है.
हालांकि इस नजरिये को चुनौती देने वाले कुछ इंटरनेट पर्यावरणविद भी हैं, जो रुपर्ट मुर्डोक की मुख्यधारा समाचार के साथ मिलकर इस सोच का खंडन करते हैं:
Ergas demolishes the ludicrous Rocky Hill mining judgement, which argued fear of climate change (a dubious hypothesis, to date) was sufficient to deny a coal mining licence: https://t.co/uVHyUDwSiL
— Andrew Deakin (@andrewl5059) February 22, 2019
पर्यावरण पर मंडराते खतरे के संबंध में आया रॉकी हिल माइनिंग फैसले,- जिस से खदान को मंजूरी नहीं मिली- को एर्गास खारिज करते हैं. उनके हिसाब से यह आकलन संदिग्ध है.
इधर ऑस्ट्रेलिया में सब से ज्यादा कोयला खनन करने वाली स्विट्ज़रलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी, ग्लेनकोर, ने घोषणा किया है कि पर्यावरण आधारित कारणों से वह दुनिया भर में कोयला खनन को सीमित करने पर विचार कर रहा है.
Glencore to limit coal production after pressure from investors https://t.co/A6bqkmqviX pic.twitter.com/dk6BBJIe3R
— GR (@GasEnergyUnion) February 20, 2019
निवेशकों के दबाव की वजह से ग्लेनकोर कोयला उत्पादन में कटौती करेगा.
खदान पर आये इस फैसले को अदालती चुनौती या सरकारी कानून से पलटा जा सकता है. हालांकि, इतना तय है कि ग्रीनहाउस गैस के लिए जिम्मेदार उद्द्योगों के खिलाफ इस तरह के पर्यवारण आधारित मुकदमों की संख्या में अभी और इजाफ़ा होगा.