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दक्षिण एशिया में अगले साल आ सकता है पहला डेंगू का टीका

विभाग: पूर्वी एशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम, नागरिक मीडिया, विज्ञान, स्वास्थ्य
फिलीपींस सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से. [1]

फिलीपीनी सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से।

पांच दक्षिण एशियाई देशों में डेंगू टीके का परीक्षण उम्मीदें जगाने वाला रहा। इसके कारण इलाके की सरकारों और शोधकर्ताओं ने घोषणा की कि अगले साल तक डेंगू का सबसे पहला टीका बाजार में आ सकता है।

दो से चौदह साल के 10,275 बच्चों पर इंडोनेशिया,मलेशिया,थाईलैंड, वियतनाम [2] और फिलीपींस में टेस्ट किया गया। इसकी कुल दक्षता 56.5 प्रतिशत रही। रिपोर्ट के मुताबिक तीन डोज़ के बाद बच्चों में डेंगू बुखार होने की आशंका 88.5 प्रतिशत कम हो गई, यानि डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आशंका में करीब 67 प्रतिशत कमी आई।

अब तक लाइलाज डेंगू, उष्णकटिबंधीय वायरस है जिसका वाहक एइडेस एइगिप्टी मच्छर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया की 40 फीसदी जनसंख्या डेंगू [10] के कारण जोखिम में है। हर साल 10 करोड़ डेंगू के संक्रमण सामने आते हैं; करीब 75 फीसदी मामले एशिया प्रशांत [11] के इलाके में देखे जाते हैं [12], खासकर दक्षिणपूर्वी एशिया में।

 हाल के सालों में [13] दक्षिण एशिया के अनेक देशों में डेंगू के संक्रमण काफी बढ़े हैं।

कई लोगों ने इसका कारण इलाके का तेजी से शहरीकरण बताया। मलेशिया के वायरोलॉजिस्ट दातुक डॉक्टर लाम साई किट डेंगू को [22] शहरी बीमारी बताते हैं:

अगर बहुत सारे लोग शहरी इलाके में रहने आ जाते हैं तो बहुत सारे लोग होते हैं जिन्हें संक्रमण हो सकता है. इनमें से कई डेंगू वायरस के संपर्क में आते से ही बीमार हो सकते हैं।

हाल ही में इस वायरस का सफल परीक्षण किया गया। फिलीपींस [23], मलेशिया, और थाईलैंड ने [24] वैक्सीन के सफल परीक्षण की घोषणा की जो डेंगू के चार जीवाणुओं और रक्तस्रावी बुखार, जो बीमारी का एक लक्षण है, को रोक सकता है। यह समाचार ऐसे प्रस्तुत [25] किया गया जैसे हर देश डेंगू वैक्सीन पर शोध में अग्रणी हो।

यह दवा कंपनी सानोफी पास्ट्युर है, जिसने पांच दक्षिण एशियाई देशों के साथ सााझेदारी की है। यही कंपनी एशियाई डेंगू वैक्सीन के शोध [26] और परीक्षण पर पिछले दो दशकों से काम भी कर रही है। उनका ताजा शोध नए समाचार रिपोर्टों का आधार भी है, जिसमें डेंगू वैक्सीन के अंतिम परीक्षण दौर के बारे में कहा गया है। लेकिन इसी शोध में टीके की कमियां भी बताई [27] गई हैं। यह मानना है [28] लेखक डामियान गार्डे का:

टीके के व्यापक असर के बावजूद, डेटा पर विस्तार से नजर डालने पर तस्वीर साफ हो जाती है। डेंगू के चार प्रकार होते हैं। सानोफी के टीके ने टाइप एक, तीन और चार पर तो अच्छा असर दिखाया लेकिन टाइप दो पर ये सिर्फ 37.4 प्रतिशत ही असर कर पाई। ये एशिया में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला डेंगू है, जिस पर टीका असर नहीं दिखा सका। शोधकर्ता यह भी टिप्पणी करते हैं कि टीके की क्षमता मरीज की उम्र के साथ बढ़ती है. कम उम्र के या बिलकुल छोटे मरीजों के लिए यह कम फायदेमंद है।

अगर एशियाई डेंगू का टीका अगले साल तक मिलने लगता है, तो 2020 तक इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के अभियान में तेज़ी आएगी।