प्रतीत होता है कि आम जनता के ब्लॉगों पर प्रतिबंध लगाना सिर्फ तीसरी दुनिया के सरकारों की ही बपौती नहीं रह गई है. गूगल का ब्लॉगस्पॉट भी इस बैंडबाजे में शामिल हो गया लगता है, और वो भी धूमधड़ाके से. गूगल ब्लॉगस्पॉट ने नवारा नेगम के ब्लॉग (तहयीज [अर.]), पर बिना कारण बताए प्रतिबंध लगा दिया. अहमद शोकीर इस बारे में विस्तार से लिखते हैं:
مع الساعات الأخيرة من الليل وبينما الكل يتأهب للذهاب للفراش ، فوجئ مجتمع المدونين على الجايكو بخبر غير متوقع صطدم الجميع … وهو تعليق مدونة نوارة نجم الشهيرة بجبهة التهييس الشعبية … لمخالفتها شروط الإستخدام حسب تعبير البلوجر
तमाम चिट्ठाकार जब रात को सोने जा रहे थे तो उन्हें
जायकू के जरिए आश्चर्यचकित करने वाला संदेश मिला जिसमें बताया गया था कि नवारा नेगम के ब्लॉग [गभेत अल तहयीज अल शबेया] पर गूगल ने प्रतिबंध लगा दिया है चूंकि वहां गूगल ब्लॉगर की सेवा शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा था.
نوارة … وطبقا لإحصائيات جوجل ريدر تنشر أربعة وعشرون وسبعة من عشر تدوينة في الإسبوع أي مايزيد عن أكثر من ثلاث تدوينات ونصف يومياً .. مَن مِن البشر يستطيع أن ينشر هذا الكم من التدوينات التي تحمل رأي وفكر وتحليل ؟ ، تدوينات نوارة بلاشك مدرسة خاصة في الكتابة حملت أسلوباً مبتكراً وجديداً في الكتابة العامية لا يجيده أحد سواها
नवारा … गूगल रीडर के आंकड़ों को मानें तो इस ब्लॉग पर प्रति सप्ताह 24.7 ब्लॉग पोस्टें याने कि कोई 3.5 पोस्टें प्रतिदिन प्रकाशित हो रही थीं. नवारा के अलावा और कौन इतनी संख्या में लाजवाब, विश्लेषणों और नए विचारों से भरपूर पोस्टें प्रकाशित कर सकता है भला? ? नवारा के पास अपनी अलग, विशिष्ट शैली है जिसमें वो गैर-पारंपरिक अरबी अपभाषा [स्लैंग] का भरपूर प्रयोग करती रही हैं.
أتوقع أن مدونتها سوف تعود في خلال أيام قليلة بعد مراجعة بلوجر لها ورفع التعليق ، فلايوجد في مدونتها مايخرق بأي شكل من الأشكال شروط بلوجر ، ولكن حتى العودة يظل الجميع متشككاً في عودتها
मुझे उम्मीद है कि उनका ब्लॉग यथा शीघ्र वापस आ जाएगा – ब्लॉगर पूरी जांच पड़ताल कर ले – उसे नवारा के लिखे में कुछ भी ऐसा नहीं मिलेगा जो गूगल-ब्लॉगर की सेवा शर्तों का उल्लंघन करता हो. परंतु तब तक के लिए हममें से हर किसी के मन में नवारा के ब्लॉग की वापसी का संदेह तो बना ही रहेगा.
1 टिप्पणी
आपके द्वारा दी गई जानकारी में कई सवाल छिपे हैं। अगर ये आतंकवादियों का ब्लाग नहीं है तो यही माना जाए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने ये लोग किन्हीं दूसरे अर्थों में लेते हैं।