श्रीलंकाई सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री और वरिष्ठ सांसद जयराज फर्नांडोपुल्ले की लिट्टे ने हत्या कर दी। बम धमाका करने वाला एक मेराथन धावक का भेस धरकर आया था। डिफेंसनेट ने घटना की जानकारी दी है पर इस पोस्ट पर कुछ गर्म बहस भी हई और यह आम श्रीलंकाई नागरिक के मानस की भी झलक भी दिखलाती है जो अब बम धमाकों में मरते लोगों की खबरों के आदि हो चुके हैं। पोस्ट पर कुछ टिप्पणियाँ इस प्रकार थीं:
रोवरः जयराज मर चुके हैं। ठीक? अब चलो आगे बढ़ें।
माईशेडोः हाँ मैं पागल हो चुका हूँ। कितने और देशवासी मारे जायेंगे? कितने और बम धमाके इस देश में होते रहेंगे? आप कहते हैं कि “हम किसी एक इंसान की मौत का मातम मनाते नहीं रह सकते”, आप अपने कंप्यूटर के सामने बैठ यह लिख सकते हैं। हज़ारों लोग मर रहे हैं। हो सकता है आप विदेश में हैं और भलेचंगे हैं। हो सकता है आपको मृतकों की फिक्र ही नहीं। क्या आप मरे हैं? नहीं। कोई और मरा है, और आप कहते हैं चलो आगे बढ़ें।
इस धमाके में मंत्री के अलावा दस और लोग भी जान गंवा बैठे और इनमें श्रीलंका के राष्ट्रीय एथलेटिक कोच लक्ष्मण डे अल्विस और मेराथन के राष्ट्रीय चैंपियन करुणसेना भी थे जिन्हें मेराथन कारु के रूप में जाना जाता था। अबाउट श्रीलंका में इस धमाके में मृत जानेमाने लोगों का इस पोस्ट में ज़िक्र है।
इस बीच श्रीलंका में युद्ध बदस्तूर जारी है, सरकार लिट्टे के अनेक लोगों को मारने का दावा कर सही है, तो लिट्टे इन दावों का खंडन कर रहा है। इस बीच जिन खबरों के बारे में लोग जान नहीं पाते वो इस युद्ध के कारण विस्थापित लोगों की हैं, जो शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं और जिन्हें उत्तरी श्रीलंका की स्वतंत्रता के सरकारी दावों के बावजूद जीवनयापन हेतु मूलभूत चीजें तक मयस्सर नहीं हैं।
ग्राउंड व्यू उत्तरी श्रीलंका के मुसलमानों और अन्य लोगों द्वारा दो दशकों से झेली जा रही दुर्दशा के बारे में लिखते हैं तो ट्रांसकरेंट उनकी सुरक्षा व्यवस्था में खामियों की और ध्यान दिलाते हैं।