तुर्की लेखक व चिट्ठाकार मुस्तफा अक्योल की आर्मीनियाई जातिसंहार विषय पर आप्रवासी आर्मीनियाई को लिखे खुले पत्र [1] का जवाब “लाईफ इन आर्मीनिया” चिट्ठे के लेखक रफी ने तुर्की नागरिकों को लिखे अपने खुले पत्र [2] से दिया है। 1915 से 1917 के बीच हुई घटनाओं को जातिसंहर का दर्जा देते हुये वे लिखते हैं कि इस बकाया घटना का हमेशा के लिये हल निकालने का यह सही समय है ताकि आर्मीनियाई और तुर्क आगे बढ़ सकें और “अंततः एक दूसरे का साथ शाँतिपूर्वक जीना शुरु कर सकें”।
आर्मीनियाः खुला पत्र
· लेखक Onnik Krikorian अनुवादक Debashish Chakrabarty
विभाग: मध्य एशिया और कोकेशिया, मध्य पूर्व व उत्तरी अफ्रीका, अर्मेनिया, तुर्की, अंतरराष्ट्रीय संबंध, आपदा, इतिहास, प्रवासन और आव्रजन, युद्ध और संघर्ष