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चक दे इंडिया

विभाग: दक्षिण एशिया, भारत, खेल, फिल्म

Chak de India poster

पिछले महीने रिलीज हुई बॉलीवुड की फिल्म चक दे इंडिया [1] ने भारतीयों के मानस पटल पर क्या जबरदस्त प्रभाव डाला. भारत में चक दे इंडिया को जादुई मंत्र की तरह लिया गया है और अब इस फिल्म को अपने पाठ्यक्रम में जोड़ने के बारे में बिजनेस स्कूलों में विचार हो रहा है. फिल्म एक ऐसे हॉकी कोच की कहानी है जिसकी दूरदृष्टि तथा दृढ़ संकल्प ने खिलाड़ियों के टीम स्पिरिट और सोच को कुछ इस तरह बदल कर रख दिया कि अंतत: टीम विश्वकप जीत लेती है.

सामान्यतः भारतीयों की वीरता क्रिकेट के अलावा दूसरे किसी खेल में अनजाना सा ही है. क्रिकेट की दुनिया में भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों ने ठीक ठाक ही मैच खेले हैं और बहुत कम ही मैच जीते हैं. हालांकि हाल ही में जोहेन्सबर्ग में सम्पन्न हुए ट्वेंटी20 विश्वकप में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने कमाल कर दिखाया और 23 साल बाद विश्वकप जीता.

बहुत से चिट्ठाकारों को लग रहा है कि हाल ही में क्रिकेट, फुटबाल और हॉकी में भारत को मिली जीत संभवतः चक दे इंडिया के प्रभाव के कारण तो नहीं है ?

संजय गोयल [2] post के पोस्ट में इस वाक्य में बहुतेरे चिट्ठाकारों के विचार महसूस किए जा सकते हैं :

“जो भी हो, शाहरूख़ खान अभिनीत चक दे इंडिया के रिलीज के साथ साथ ही भारतीय खेल जगत ने अपना सबसे बढ़िया समय देखा है ”

के वर्ल्ड के कार्तिक [3] भी कुछ इसी तरह के विचार रखते हैं और सोचते हैं कि क्या सचमुच चक दे इंडिया को खेल जगत में भारत की जीत के लिए प्रेरक के रूप में मान सकते हैं. वे लिखते हैं:

क्या सचमुच कोई फिल्म देश के लिए सौभाग्य लेकर आ सकती है ? इस प्रश्न का कोई भी तर्कसंगत उत्तर तो “नहीं” में ही होगा. और, सिर्फ “नहीं”, बल्कि “नहीं!!!” होगा.

पर, फिर भी, आइए इस समय पंक्ति पर जरा चलके देखें-

  • 10 अगस्त, 2007 – शाहरूख़ की चक दे इंडिया रिलीज हुई
  • 29 अगस्त, 2007 – फुटबाल में भारत ने नेहरू कप जीता [1 [4]]
  • 9सितम्बर, 2007 – हॉकी में भारत की नेहरू कप में विजय [2 [5]]
  • 24सितम्बर, 2007 – क्रिकेट में भारत ने टी20 विश्वकप जीता [3 [6]]

अब आपको कार्तिक के चिट्ठे को आगे पढ़ना होगा उनके विश्लेषण को जानने के लिए कि बॉलीवुड की इस फिल्म और भारतीय खेलों की टीम के बीच आपसी संबंध क्या हैं.

मटरिंग दैट मैटर [7] अपने पोस्ट चक दे इंडिया में लिखते हैं :

“इस जीत ने दोनों को पार्श्व में कर दिया चूंकि मैं पिछले पूरे 22 सालों से इस खुशी के मौके का इंतजार कर रहा था.

टीम इंडिया को बधाई – टी20 चैम्पियन …चक दे इंडिया ….”

आनंद कृष्णन्स म्यूसिंग्स [8]लिखते हैं :

“सोने में सुहागा यह है कि पिछले कुछ महीनों में भारतीय टेनिस, बैडमिंटन, हॉकी तथा फुटबाल ने भारत को उस स्तर पर पहुँचाया है जहाँ गैर भारतीय द्वीप के देश अब तक सम्बद्ध रहे थे. यह भारतीय खेलों की वो “चहुँओर फैलती रैली” है जो मुझे ये कहने को मजबूर करती है – “चक दे इंडिया”!”

चक दे इंडिया का प्रभाव दवे के यात्रा चिट्ठे में भी बरकरार है. दवे जो कि बेसबाल प्रमी हैं, सोचते हैं कि वे अब क्रिकेट प्रेमी बनने के कगार पर हैं. उन्होंने अपने चक दे इंडिया [9] शीर्षक वाले पोस्ट में जोहान्सबर्ग में भारत तथा पाकिस्तान के बीच हुए फाइनल मैच के दौरान इन दोनों देशों के मिजाज को कुछ यूँ पकड़ा है.

“यह मेरा सौभाग्य था कि मैच देरी से प्रारंभ हुआ और मैं पाकिस्तान की प्रचण्ड वापसी का गवाह बनने समय पर पहुँच गया. वे बस जीत के करीब ही थे और पूरे देश में उदासी छाती जा रही थी कि अचानाक भारत ने चमत्कारिक जीत हासिल कर ली! जैसे ही अंतिम गेंद को कैच कर लिया गया, मुम्बई में चहुँओर पटाखे फूटने लगे.”

और जब विजेता भारतीय टीम कल मुम्बई वापस आई तो उनके शानदार स्वागत में शहर थम सा गया. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब टीम शहर में दाखिल हो रही थी तो पार्श्व में कौन सा गाना बज रहा था? चक दे इंडिया.