क्या आप टॉप गियर, झकास फ़ास्ट कार….और पर्यावरण प्रेमी बन सकते हैं? इस साल 12 अक्तूबर को चिट्ठाकारी संबंधित कौन सा कार्यक्रम रखा गया है? अफ़्रीका को दान किए गए उन सारे कम्प्यूटरों का क्या हुआ? इन असामान्य प्रश्नों के उत्तर अफ़्रीका के चिट्ठाकारों ने इस सप्ताह दिए हैं.
चित्र ग्रीनकार्स.जेडए.नेट दक्षिण अफ़्रीका से साभार, जहाँ से हम कार्ल निनाबर के साथ शुरूआत करते हैं. जो एक स्वयंभू ‘कार नट’ हैं और जो अपने चिट्ठे का इस्तेमाल पर्यावरण मित्र कारों की खोजबीन और उनके बारे में बताने के लिए करते हैं. उनके पन्ने के बारे में में परिपूर्ण परिचय है, इस अवलोकन सहित
दक्षिण अफ़्रीका की मुख्यधारा की मोटरिंग मीडिया अभी भी बहुत कुछ पारंपरिक “पेट्रोल हेड” प्रतिमान में ही है, जहां किसी कार की प्रमुख विशेषता उसकी गति व प्रदर्शन क्षमता को ही माना जाता है. दक्षिण अफ़्रीका के कार संबंधी प्रकाशनों में जब भी पर्यावरण मित्र ऑटोमोबाइल तकनॉलाजी बातें छपती हैं तो उनमें एक अप्रसन्नता की झलक सी दिखाई देती है (”हरित” विकास को कुछ इस तरह से लिया जाता है जैसे कि कारों में से फन फैक्टर को निकाल बाहर कर दिया गया हो ) या कभी उनमें प्रशंसा का भाव भी होता है तो उपभोक्ता को होने वाली बचत के बारे में होता है. उदाहरण के लिए, ईंघन दक्षता के बारे में जब ध्यान दिया जाता है तो उसके पर्यावरणीय फ़ायदों की नहीं, बल्कि उससे हो रही क़ीमत में फ़ायदों की बात पर ध्यान दिया जाता है.
उनके अन्य पोस्टों में एक में दक्षिण अफ़्रीका में हो रहे कार रेस सितम्बर 2008 सोलर चैलेंज के बारे में है जिसके प्रति वे आशान्वित हैं कि ‘…इससे दक्षिण अफ़्रीका में वैकल्पिक ईंघन के इस्तेमाल के प्रति लोगों में निश्चित रूप से भारी जागरूकता पैदा होगी.’
यूअर ग्रुप ऑफ वेब एडिक्ट्स चिट्ठे में इस साल 12 अक्तूबर को पर्यावरण बचाने के लिए मनाए जाने वाले ब्लॉग एक्शन डे के लिए स्मरण दिलाया जा रहा है. नीचे दिए गए चित्र में क्लिक कर आप भी इसमें भाग ले सकते. जीवी के हम सभी साथी उस दिन इस विषय पर आपके पोस्ट को देखना चाहेंगे. अतः आपसे गुजारिश है कि टिप्पणी में अवश्य बताएँ और फिर हम निश्चित रूप से 12 अक्तूबर को यह देखेंगे कि उस दिन (और अन्य किसी भी दिन,) आपने पर्यावरण पर अपने क्या विचार व्यक्त किए .
अर्बन स्प्राउट का एक पोस्ट कोएलिशन अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी (नाभिकीय ऊर्जा के विरुद्ध संयुक्त उपक्रम) – सीएएनई के बारे में है. पोस्ट की टिप्पणियों को अवश्य पढ़ें चूंकि उनमें पेबल बेड रिएक्टरों की सुरक्षा विषयक एक अच्छी बहस हुई है. पोस्ट में सीएएनई के लक्ष्यों को प्रमुखता से बताया गया है जिसमें शामिल है यह वक्तव्य-
हमारा पुख्ता विश्वास है कि हमें केबिनेट के इस एक पक्षीय निर्णय का विरोध करना ही होगा जो हम सभी के रेडियोएक्टिव भविष्य को निर्धारित करेगा. आम जन को इसके बारे में पता होना चाहिये और हमारे संवैधानिक अधिकारों – विशेषकर रेडियो एक्टिव प्रदूषणों से मुक्त पर्यावरण के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए न कि उसे खत्म किया जाना चाहिए.
केन्या एनवायरो ब्लॉग में केन्या में ई-कचरा पर एक परिपूर्ण निगाह डालते हुए बताया गया है कि यह एक टाइमबम है जिसे और खराब होने के लिए सेट किया गया है इस लिहाज से भी कि ‘केन्या आईटी क्रांति के किनारे पर है और मोबाइल फ़ोन इंडस्ट्री में सत्तर लाख से अधिक सक्रिय लाइनें हैं.’ फिल इस स्थिति का बयान कुछ इस तरह करते हैं-
केन्या में स्थिति संकटग्रस्त परिस्थितियों पर पहुँचने के कगार पर है. नैरोबी के ईस्टलैंड क्षेत्र में कुख्यात डंडोरा कूड़ास्थल इलेक्ट्रानिक कचरे से अटा पड़ा है जिसमें पुराने टेलिविजिन सेट, कम्प्यूटर, फ्रिज से लेकर मोबाइल फ़ोन और बैटरियों तक के भयंकर जहरीले पदार्थों युक्त कचरे हैं. आसपास के निवासियों को इन इलेक्ट्रॉनिक कचरे से फैलने वाले जहरीले पदार्थों जैसे सीसा, कैडमियम व पारा इत्यादि से कैंसर, श्वासजन्य तथा त्वचा रोगों की संभावना बनी हुई है. केन्याई लोगों द्वारा फेंके गए कचरे के अलावा देश में अन्य देशों द्वारा सैकड़ों कंटेनरों में ई-कचरा ‘दान’ के बहु-रूप में प्राप्त होता है.
उन्होंने बहुत से कड़ियों को भी दिया है जहाँ से पाठकों को ई-कचरा के बारे में और भी जानकारियाँ हासिल हो सकती हैं तथा विशेष रूप से इनसे निपटने के उपाय देखे जा सकते हैं
बसावाद्स सफारी नोट्स के उमर ने ध्रुवीय भालुओं की दुर्दशा के बारे में संक्षिप्त उद्धरण देते हुए पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने कुछ लेखों की कड़ियों को भी दिया है. अंत में उन्होंने लिखा -
इस धरती के सभी पशु और अन्य जीव-जन्तु पर्यावरण पर और अपने आसपास के वातावरण, जहां पर वे रहते हैं, पूरी तरह निर्भर होते हैं. पर्यावरण और वातावरण जिसके लिए हम मनुष्य जिम्मेदार माने जाते रहे हैं उसे हम योजनाबद्ध तरीके से और निश्चित तौर पर बर्बाद कर रहे हैं. अपने आप को जोखिम में डाल रहे हैं.